होली पर आदिवासी समुदाय मनाते हैं भगोरिया उत्सव, जानिए क्या खास होता है इस उत्सव में

भगोरिया उत्सव के दौरान धार, झाबुआ, खरगोन, आलीराजपुर, करड़ावद आदि कई क्षेत्रों के हाट या बाजार मेले में तब्दील हो जाते है और हर तरफ फागुन आने की खुशी छा जाती है।
Bhagoria Festival of Tribals on Holi :  सभी लड़के और लड़कियां मिलकर ढोल की थाप पर गोल घेरा बना कर सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं।(Wikimedia Commons)
Bhagoria Festival of Tribals on Holi : सभी लड़के और लड़कियां मिलकर ढोल की थाप पर गोल घेरा बना कर सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं।(Wikimedia Commons)

Bhagoria Festival of Tribals on Holi : मध्यप्रदेश में झाबुआ के आदिवासी क्षेत्र में होली पर आदिवासियों का होली मनाने का अंदाज ही कुछ और होता है। उनके इस उत्सव को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं। होलिका दहन से 7 दिन पहले ही शुरू होने वाले भगोरिया उत्सव में युवा वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आपको बता दें कि राजा भोज के समय लगने वाले हाटों को भगोरिया कहा जाता था। इसी समय दो भील राजाओं कासूमार और बालून ने अपनी राजधानी भागोर में विशाल मेले और हाट का आयोजन करना शुरू किया। यह देख कर धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का नकल करना शुरू किया जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहना शुरू हो गया। आइए जानते हैं इस उत्सव की कुछ रोचक बातें।

बाजार बन जाते है मेले

भगोरिया उत्सव के दौरान धार, झाबुआ,खरगोन, आलीराजपुर, करड़ावद आदि कई क्षेत्रों के हाट या बाजार मेले में तब्दील हो जाते है और हर तरफ फागुन आने की खुशी छा जाती है। यहां दूर गांव के रहने वाले लोग इस हाट में सज-धज के जाते हैं। नौजवान युवक-युवतियां हो या बड़े-बूढ़े सभी भगोरिया पर्व का आनंद लेते हैं। इस दौरान ग्रामीणजन ढोल-मांदल एवं बांसुरी बजाते हुए ताड़ी पीते और मस्ती में झूमते हैं। इस बाजार में टैटू बनवाने का भी खासा प्रचलन रहता है।

भगोरिया नृत्य

सभी लड़के और लड़कियां मिलकर ढोल की थाप पर गोल घेरा बना कर सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं। युवतियां नख से शिख तक पहने जाने वाले चांदी के आभूषण, पावों में घुंघरू, हाथों में रंगीन रुमाल लिए गोल घेरा बनाकर मांदल व ढोल, बांसुरी की धुन पर बहुत सुंदर नृत्य करती हैं।

 यदि एक रंग के वेश-भूषा में युवक-युवतियां नजर आते हैं। तब इस दौरान इन युवक-युवतियां का रिश्ता भी तय हो जाता है। (Wikimedia Commons)
यदि एक रंग के वेश-भूषा में युवक-युवतियां नजर आते हैं। तब इस दौरान इन युवक-युवतियां का रिश्ता भी तय हो जाता है। (Wikimedia Commons)

युवक और युवतियों के तय होते हैं रिश्ते

आपको जानकर हैरानी होगी यहां यदि एक रंग के वेश-भूषा में युवक-युवतियां नजर आते हैं। तब इस दौरान इन युवक-युवतियां का रिश्ता भी तय हो जाता है। कई लड़के और लड़कियां आपसी सहमति से एक दूसरे के हो जाते हैं। यह एक प्रकार का वैवाहिक सम्मेलन भी होता है।

इजहार करने का होता है अनोखा तरीका

भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने जीवनसाथी को ढूंढने आते हैं। इसमें उनका इजहार करने का तरीका बड़ा अनोखा होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो हां समझी जाती है और फिर लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं। इसी प्रकार यदि लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com