होलिका दहन के दिन रहेगा भद्रा काल, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

होलिका दहन को छोटी होली भी कहते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए।
Holika Dahan 2024 Time : हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। (Wikimedia Commons)
Holika Dahan 2024 Time : हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। (Wikimedia Commons)
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Holika Dahan 2024 Time : रंगवाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन को छोटी होली भी कहते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। इस साल होलिका दहन का त्योहार 24 मार्च को मनाया जाएगा। लेकिन इस साल इस समय भद्रा लगा होगा। जिस वजह से होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर लोग परेशान है, तो आइए जानते हैं कि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष होलिका दहन का त्योहार 24 मार्च को रविवार के दिन मनाया जाएगा। होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 27 मिनट तक समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही होलिका दहन के अलगे दिन रंगवाली होली मनाई जाएगी। वहीं काशी पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 24 मार्च को होगा लेकिन 25 को होली नहीं मनाई जाएगी क्योंकि उस दिन आंतर है। चैत्र प्रतिपदा में ही होली मनाई जाती है। इसलिए 25 मार्च को आंतर यानी विश्राम रहेगा और 26 मार्च को होली मनाई जाएगी।

होलिका के चारों ओर पूरा परिवार मिलकर सात परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। (Wikimedia Commons)
होलिका के चारों ओर पूरा परिवार मिलकर सात परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। (Wikimedia Commons)

भद्रा काल

होलिका दहन के दिन भद्रा पूंछ शाम 06:33 से 07:53 तक तो वहीं भद्रा मुख शाम 07:53 से रात 10:06 बजे तक रहेगी। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि 24 मार्च 2024 की सुबह 09:54 बजे से 25 मार्च की दोपहर 12:29 बजे तक रहेगी।

क्या है पूजा विधि

हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद शुरू होने वाला समय में पूर्णिमा तिथि के प्रबल होने पर ही किया जाना चाहिए। शास्त्रों में घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए होलिका दहन से पहले होलिका पूजा का विशेष महत्व होता है।

होलिका पूजन करते समय अपना मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके बैठे। पूजन की थाली में रोली, पुष्प, माला, नारियल, कच्चा सूत, साबूत हल्दी, मूंग, गुलाल और पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां और एक लोटा जल होना चाहिए। इसके बाद होलिका के चारों ओर पूरा परिवार मिलकर सात परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। इसके पश्चात विधिवत तरीके से पूजा करने के बाद होलिका को जल का अर्घ्य दें और सूर्यास्त के बाद भद्रा रहित काल में होलिका का दहन करें।

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