दिवाली के त्यौहार के दिन मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और भगवान गणेश (Ganesh) की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। लोग ऐसा मानते हैं कि दीपावली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर आती है। इस दौरान सच्चे मन से मां लक्ष्मी की आराधना करने वाले पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है। कई लोग तो इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और संध्याकाल में पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद ही व्रत खोलते हैं। दिवाली के अवसर पर जानिए दिवाली की है पावन कथा
एक ऐसी पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक साहूकार की बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाया करती थी उस पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने उस लड़की से मित्रता करने का प्रस्ताव रखा इस पर लड़की ने अपने पिता से पूछ कर बताने की बात कही जब लड़की ने अपने पिता से सारी बात बताई तो उसने हां कर दी। अगले दिन जाकर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपनी सहेली बना लिया।
साहूकार की बेटी और लक्ष्मी जी दोनों अच्छी मित्र बन गई और दोनों अच्छी सहेलियों की तरह एक दूसरे से बातें करती। एक दिन साहूकार की बेटी लक्ष्मी जी के घर गई लक्ष्मी जी ने उनका खूब आदर सत्कार किया और उन्हें पकवान परोसे। जब साहूकार की बेटी अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने उससे पूछा कि वह उन्हें अपने घर कब बुलाएगी। लेकिन साहूकार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह उन्हें अपने घर बुलाने में हिचकिचा रही थी, कि वह उनका अच्छे से स्वागत कैसे कर पायेगी।
साहूकार अपनी बेटी की मनोस्थिति समझ गया उसने उसे समझाते हुए परेशान न होने की सलाह दी और कहा कि तुरंत घर की साफ सफाई करके चौका मिट्टी से लगा दे। और लक्ष्मी जी के नाम से चार बत्ती वाला दिया जलाएं। ठीक उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर साहूकार के घर आ गई उसे बेचकर साहूकार की बेटी ने भोजन की तैयारी की। कुछ ही समय बाद मां लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ साहूकार के घर आए और उनके स्वागत सत्कार से बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने साहूकार के घर अपनी कृपा बरसाई उसके बाद मां लक्ष्मी की कृपा से साहूकार को कभी किसी चीज को कमी नही हुई।
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