हिन्दू धर्म का सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ महादेव मंदिर

हिन्दू धर्म का सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ महादेव मंदिर

भारत का इतिहास और उससे जुड़ी संस्कृतियां सदा से हम सब के लिए गौरव का विषय रही है और हमारे हिन्दू धर्म ग्रन्थों में  अलग-अलग मंदिरों का सुंदर उल्लेख मिलता है। इन्हीं में से ऋग्वेद में भगवान सोमनाथ मन्दिर (Somnath temple) का जिक्र आज भी मिलता है।

एक प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसा , एक प्रजापति दक्ष हुआ करते थे। जिनकी 12 पुत्रियां थीं। उनका विवाह उन्होंने चंद्रदेव (Chandradev) से कराया था। परन्तु चंद्रदेव (Chandradev) सभी रानियों में से केवल एक को पसंद करते थे। अपनी पुत्रियों के साथ होता अन्याय देखकर उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दे दिया था और इसी श्राप से मुक्ति के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव(God Shiva) का आह्वाहन किया था। तब भगवान शिव ने चंद्रदेव को वरदान देकर उन्हें श्राप से मुक्त किया था। इसी से खुश होकर चंद्रदेव ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि , जिस शिवलिंग की मैं पूजा करता हूं, आप माता पार्वती (Mata Parvati) के साथ वहां पूर्ण रूप से निवास करें और तब भगवान शिव ने उनकी आराधना स्वीकार की थी और ऐसा माना जाता है कि, वहीं से ही चंद्रदेव ने शिवलिंग (Shivling) सोमनाथ महादेव मंदिर(Somnath temple) का निर्माण किया था।

भारतवर्ष के पश्चिमी छोर पर गुजरात (Gujrat) के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल (Veraval) बंदरगाह में आज भी यह सोमनाथ मन्दिर (Somnath temple) अपनी सुन्दरता , आस्था , भव्यता के लिए सम्पूर्ण विश्व (World) में प्रख्यात है। सोमनाथ मन्दिर(Somnath temple) हिन्दू धर्म (Hindu religion) का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्थल माना जाता है। सोमनाथ महादेव ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) में से सर्वप्रथम माना गया है। ऐसा माना जाता है कि , सोमनाथ महादेव मंदिर(Somnath temple) की महिमा , महाभारत (Mahabharat) काल के दौरान भी प्रचलित थी।

सोमनाथ मन्दिर(Somnath temple) से जुड़े कुछ विशेष रोचक तथ्य:

आमतौर पर सभी मदिर स्थलों से जुड़ी कोई ना कोई विशेषता अवश्य होती है , जिसके कारण वह विश्वविख्यात होता है। सोमनाथ मन्दिर की भी अपनी कई विशेषताएं हैं। जिससे जुड़े कई रोचक तथ्य हैं।

सोमनाथ महादेव।(Wikimedia Commons)

1. ऐसा कहा जाता है कि , सोमनाथ मन्दिर में स्तिथ शिवलिंग हवा में है अर्थात रेडियोधर्मी (Radioactive) गुण के कारण ये  शिवलिंग(Shivling) को धरती से ऊपर हवा में संतुलित रखता है। यह इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है। जिसके चलते ही सदियों से सोमनाथ मन्दिर(Somnath temple) हमारी आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है।

2. मंदिर के निकट ही दक्षिण दिशा(South direction) की ओर समुद्र के किनारे एक स्तंभ (Stambh) है, जिसे बाणस्तंभ(Banstambh) के नाम से भी जाना जाता है। इसके शीर्ष पर एक तीर का चिन्ह है , जो यह दर्शाता है कि , सोमनाथ मन्दिर और दक्षिण ध्रुव के बीच धरती का कोई अंश नहीं है। भूमि का कोई भी भाग नहीं है।

3. मंदिर प्रांगण में कुछ ऐसे रोचक तथ्य भी मिलते हैं , जो यह इंगित करते हैं कि, भगवान श्रीकृष्ण(Bhagwan Shri Krishna) ने अपना देहत्याग यहीं पर किया था।

4. सोमनाथ मन्दिर (Somnath temple) की सुन्दरता का सबसे बड़ा प्रतीक है यहां पर बह रहीं तीन प्रमुख नदियां, हिरण (Hiran) , कपिला (Kapila) , सरस्वती (Saraswati)। इस अद्भुत संगम को त्रिवेणी भी कहा जाता है। इस त्रिवेणी में लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं।

5. मंदिर के प्रांगण में महारानी अहिल्याबाई "होल्कर"(Maharani Ahilyabai Holkar) सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, अहिलेश्वर, गणपति (Ganpati) और काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के मंदिर हैं। यहां दुखहरण की एक जल समाधि भी स्तिथ है।

प्राचीन काल से ही यह मंदिर अत्यंत वेभवशाली था। जिसकी भव्यता का आंकलन करना बेहद मुश्किल था। लेकिन इतिहास में, मंदिर की भव्यता के कारण ही इसे विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई बार लूटा गया, इसे नष्ट किया गया कई बार इसे भी क्षति पहुंचाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि, प्रसिद्ध विद्वान अल बरुनी (Al – Baruni) भारत (India) दर्शन के लिए आया था। उसने अपने यात्रा वृतांत में भारतीय संस्कृति(Indian Culture), उसकी सभ्यता का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया था। जिसमें सोमनाथ मन्दिर(Somnath temple) की समृद्धता, सुन्दरता का वर्णन उसने अपनी किताब में किया था। जिसे पढ़कर ही फारस का सुल्तान महमूद गजनवी (Mehmud Gajnavi) को सोमनाथ मन्दिर लूटने का ख्याल आया था।

इसी मकसद को पूरा करने के लिए महमूद गजनवी (Mehmud Gajnavi) ने 1024 में अपने पांच हजार सैनिकों के साथ सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण किया और उसकी सारी संपत्ति को लूटकर मन्दिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इसके बाद सबसे पहले इसका पुनः निर्माण गुजरात (Gujrat) के राजा भीम (Bhim) और मालवा (Malva) के राजा भोज (Raja Bhoj) ने करवाया था। लेकिन इसके बाद भी महमूद गजनवी (Mehmud Gajnavi) ने लगभग 17 बार सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण किया और पूर्णतः उसे ध्वस्त कर दिया था। सोमनाथ मन्दिर को अंतिम बार 1665 में मुगल (Mughal) शासक औरंगजेब (Aurangzeb) द्वारा नष्ट किया गया था लेकिन इसके बाद इसका पुनः निर्माण नहीं हो पाया था। कुछ तथ्य यह भी दर्शाते हैं कि , सोमनाथ मन्दिर के स्थान पर 1706 है एक मस्जिद (Majzid) बना दी गई थी। एक और रोचक तथ्य यह भी मिलता है कि, करीब 725 में सिंध(Sindh) के मुस्लिम सूबेदार अल-जुनैद (Al – Juned) ने भी सोमनाथ मन्दिर को तबाह कर दिया था। जहां एक तरफ हिन्दू राजा सोमनाथ मन्दिर का निर्माण करते गए वहीं मुस्लिम सुल्तान उसको तोड़ते गए थे।

आज वर्तमान में जो सोमनाथ मन्दिर स्तिथ है उसे स्वतंत्रता के बाद पुनः निर्मित किया गया था। तत्कालीन भारत के गृहमंत्री (Home minister) सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) ने 1951 में इसके पुनः निर्माण का आदेश दिया था और गुजरात(Gujrat) की चालुक्य शैली में इसका निर्माण किया गया था।
आज सोमनाथ मन्दिर भारत की प्रतिष्ठित और सम्मानित परियोजनाओं में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म(Hindu religion) की आस्था का ही प्रतीक है कि आज सोमनाथ मन्दिर(Somnath temple) की पराकाष्ठा सम्पूर्ण विश्व में प्रख्यात है।

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