दशकों पहले गुप्त रूप से भारत (India) से बाहर ले जाई गई दस उत्कृष्ट मूर्तियां वापस लाई गई हैं। ये देश में वापस लाए गए पुरावशेषों के बड़े भाग का हिस्सा है, जिसमें 2014 के बाद से अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। ये मूर्तियां अब वापस अपने मूल राज्य और मंदिर में जाएंगी। ये सभी दस मूर्तियां मूर्ति स्कधं, तमिलनाडु द्वारा जांच किए गए मामलों की केस प्रॉपर्टी है।
इन दस पुरावशेषों में से चार अर्थात दो द्वारपाल और संत संबंदर की दो मूर्तियां हैं, जो क्रमश: वर्ष 2020 और 2022 में ऑस्ट्रेलिया (Australia) से वापस लाई गईं। शेष छह मूर्तियां पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) से वापस लाई गई हैं।
कांस्य और पत्थर से निर्मित ये दस पुरावशेष उत्कृष्ट प्राचीन भारतीय कला के आदर्श हैं और तमिलनाडु के इतिहास में चोल और विजयनगर काल से संबंधित हैं। चोल (Chola) काल की आठ मूर्तियां कांसे से बनाई गई हैं, जो शिल्प कौशल और धातु विज्ञान में प्रतिभा प्रदर्शित करती हैं, जबकि दो अन्य को विजयनगर (Vijaynagar) काल के दौरान पत्थर पर शानदार ढंग से तराशा गया है।
इन 10 मूर्तिकला रत्नों में दो द्वारपाल, कांस्य का एक नृत्य नटराज, 11वीं शताब्दी ईसवीं से संबंधित कनकलामूर्ति और नंदिकेश्वर, 12वीं शताब्दी ई. के चार बाहु विष्णु, 10वीं - 11वीं शताब्दी ईसवीं की देवी पार्वती, 12वीं शताब्दी ईसवीं की शिव-पार्वती और बाल संत संबंदर की दो मूर्तियां, एक खड़ी और एक उल्लासपूर्ण नृत्य मुद्रा में शामिल हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने कहा कि, हम अलग-अलग देशों से समझौते कर रहे हैं, हम अलग-अलग देशों से मूर्तियां ला रहे हैं, आगामी दिनों में जहां भी मूर्तियां होंगी हम उन देशों से संपर्क करेंगे और मूर्तियां वापस लाएंगे। सरकार की नीतियों के अनुसार जो भी जरूरत होगा वो कदम उठाएंगे।
संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी (Minakshi Lekhi) ने कहा कि, 2014 के बाद भारत में 228 मूर्तियां आई हैं, दूसरे देशों से संबंध सरकार ने इन कामों को किया है, इसलिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करती हूं।
कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India), संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture)और भारत सरकार (Government of India), 1976 से विभिन्न देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, हॉलैंड, जर्मनी, सिंगापुर, यू.के., आदि से भारतीय मूल की कलाकृतियों को वापस लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। 1976 के बाद, 241 पुरावशेषों को भारत में पुन: प्राप्त किया गया है। इनमें से 13 पुरावशेष 1976 और 2013 के बीच प्राप्त किए गए थे जबकि, 2014 से अब तक 228 पुरावशेष भारत वापस लाए गए हैं।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की यात्रा के दौरान अमेरिका से बड़ी संख्या में पुरावशेष पुन:प्राप्त किए गए हैं। अब तक, अमेरिका ने भारत के उन 157 पुरावशेषों को उदारतापूर्वक वापस किया है, जिन्हें अवैध रूप से भारत से बाहर ले जाया गया था।
वहीं भारत सांस्कृतिक संपत्ति में अवैध तस्करी को रोकने और तस्करी रोकने के साधनों के संबंध में 1970 के यूनेस्को कंवेंशन (UNESCO Convention) का एक हस्ताक्षरकर्ता है और इसलिए नोडल एजेंसी होने के नाते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अवैध रूप से तस्करी किए गए पुरावशेष के प्रत्यावर्तन की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
विदेश में किसी प्राचीन वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त होने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वस्तु की चोरी और स्थान के बारे में पूछताछ की जाती है। एक बार जमीनी तथ्यों की पुष्टि हो जाने के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विधिवत रूप से विदेश मंत्रालय को इसकी सूचना देता है, जिसके माध्यम से आगे की प्रक्रिया चलाई जाती है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी सहित संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल रहे।
(आईएएनएस/PS)