वर्षों से उत्पीड़न सह रहे हैं हिन्दू, जानिए हिंदुओं पर हुए अत्याचार की कहानी।

मुग़ल काल मे हिन्दू मंदिर को नष्ट एवं उनके द्वारा किए गए अत्याचार की कहानी बयाँ करती तस्वीर।(Wikimedia Commons)
मुग़ल काल मे हिन्दू मंदिर को नष्ट एवं उनके द्वारा किए गए अत्याचार की कहानी बयाँ करती तस्वीर।(Wikimedia Commons)

इतिहास को हम कितना जानते हैं? क्या हमने इतिहास की सारी कहानियां पढ़ी हैं ? शायद नही। या शायद हमने इतिहास के उन सभी कहानियों को सुना और पढ़ा है लेकिन हमने उन कहानियों को कहानी की तरह पढ़ के खत्म कर दिया। इतिहास के कई पन्ने है जिन्हें निचोडें तो खून निकलेगा।

इतिहास के उन्हीं कहानियों में से एक कहानी है हिंदुओं के साथ हुए उत्पीड़न का (Persecution of Hindus) जो कि एक लंबी कहानी है। अगर हम बात करें(Persecution) की तो इसका अर्थ है किसी व्यक्ति या उसके समुदाय के साथ उसके धार्मिक या राजनीतिक विश्वासों के लिए अमानवीय और क्रूर तरीके से व्यवहार किया जाना। इतिहास में दुनिया के कई अलग अलग देशों में अलग अलग समुदायों के लोगों को उनके धार्मिक एवं रानीतिक विश्वसों की वजह से उत्पीड़न सहना पड़ा। अगर हम बात करें भारत की तो भारत मे धर्म के नाम पर हिंदुओं के उत्पीड़न का एक लंबा इतिहास रहा है।

मुग़ल काल मे काशी विश्वनाथ को अपमानित एवं नष्ट करने की वास्तविक तस्वीर।(Wikimedia Commons)

हिंदुओं ने पिछले हजार सालों में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन, मंदिरो और शिक्षा स्थलों के साथ छेड़छाड़ और धर्म के आधार पर उत्पीड़न सहा है। पहले अगर हम बात करें मदिरों की तो सोमनाथ मंदिर, द्वारका, विश्व्नाथ मंदिर, मथुरा, सीताराम जी मंदिर, हम्पी, एलोरा, त्र्यंबकेश्वर, नरसिंहपुर आदि मंदिर मुगलों के द्वारा नष्ट या अपवित्र किया गया।

पीटर जैक्सन और आंद्रे विक के अनुसार, इस्लामिक ग्रंथों में हिंदुओं को 'काफिर' कहा गया है और मुसलमानों को 'जिहाद' (हिंदुओं पर हमला) करने के लिए कहा जाता है। बख्तियार खिलजी ने 1193 ई. और 1197 ई. के बीच नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया। बख्तियार खिलजी द्वारा 90 लाख से अधिक पांडुलिपियों को जला दिया गया और भिक्षुओं का बड़े पैमाने पर नरसंहार किया गया। बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय लगातार एक महीने तक जलता रहा, क्योंकि लाखों पांडुलिपियां उस विश्वविद्यालयों में जल रही थीं। उस समय हिन्दुओं को अत्याचारों से बचाने वाला कोई नहीं था।
इतिहास को जानने वाले कहते है कि नालन्दा विश्वविद्यालय में हिंदुओं के ग्रन्थ रखे गए थे जिसमे आयूर्वेद के महत्वपूर्ण पांडुलिपियाँ उस समय नष्ट कर दी गईं।
चलते है उस समय जब हिंदुओं को धिम्मी कहा जाता था धिम्मी वो लोग कहलाते है जो शरीयत पर चलने वाले मुस्लिम देश के गैर-मुस्लिम नागरिक होते है। जिन्हें अपने मजहब के हिसाब से उस देश में रहने के लिए उस देश की सरकार को खास टैक्स (जजिया, खर्ज) देना पड़ता है। वे तब तक धिम्मी माने जाते है जब तक वह इस्लाम को अपना धर्म न बना ले।

बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट करने के बाद नालंदा विश्वविद्यालय का वर्त्तमन ढांचा।(Wikimedia commons)

हिंदुओं के साथ उत्पीड़न की झलक जौहर प्रथा में भी दिखती है। राजस्थान के चित्तौरगढ़ के किले में अलाउदीन खिलजी के डर से महिलाओं ने आत्मदाह कर लिया यह भी मुगलों के खौफ का एक किस्सा रहा है। मुगल काल मे ही उत्तरी भारत में शादियाँ रात के समय मे होने लगी कारण यह था कि नई बहू बेटियों पर अत्याचार न हो। और यह प्रथा आज भी चली आ रही है। अगर बात करे दक्षिण भारत में तो यहां इन सभी का डर कम था तो वहाँ शादियाँ दिन में ही होती रहीं और आज भी दिन में ही होती है। जब दिल्ली सल्तनत पर मुगल का शाशन आया उस समय गुलामी अपने चरम में पहुँच गई। महमूद गजनवी जिसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया उसके समय से अफगानिस्तान के गजनी में एक स्तम्भ आज भी है जिसपे लिखा है – दुख्तरे हिन्दोस्तां नीलाम-ए दो दीनार जिसका अर्थ है इस जगह पर भारीतय महिलाएं दो दो दिनार में नीलम हुई हैं। हिंदुओं के साथ उत्पीड़न का किस्सा यहां खत्म नही होता इसके आगे भी अत्याचार होते रहें है और आज भी हो रहे हैं। इतिहास बहुत बड़ा है जिसमे हिंदुओं पर किये गए अत्याचार एक बड़ा अध्याय है।

(Various source)

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