4 सितंबर: जाने इस दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं

4 सितंबर भारतीय इतिहास यादगार तारीखों में से एक है। इस दिन देश ने स्वाधीनता आंदोलन की अग्रदूत बुद्धिजीवियों को जन्म दिया, जैसे कि ‘महान ब्रिटिश संसद सदस्य’ दादाभाई नरोजी (1825) तथा क्रांतिकारी-साहित्यकार भुवेन्द्र नाथ दत्ता (1880)।
4 सितंबर (History Of 4th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है
4 सितंबर (History Of 4th September) भारतीय इतिहास यादगार तारीखों में से एक है। Sora Ai
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4 सितंबर भारतीय इतिहास यादगार तारीखों में से एक है। इस दिन देश ने स्वाधीनता आंदोलन की अग्रदूत बुद्धिजीवियों को जन्म दिया, जैसे कि ‘महान ब्रिटिश संसद सदस्य’ दादाभाई नरोजी (1825) तथा क्रांतिकारी-साहित्यकार भुवेन्द्र नाथ दत्ता (1880)। इसके अलावा 1803 में अलीगढ़ दुर्ग का युद्ध और 1985 में राजनीतिक हत्या की दुखद घटना भी 4 सितंबर से जुड़ी हैं। यह दिन विविध राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यों में महत्वपूर्ण रहा है।आइए जानते हैं 4 सितंबर (History Of 4th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।

4 सितंबर 1880: भुवेन्द्र नाथ दत्ता का जन्म

1880 में भुवेन्द्र नाथ दत्ता (Bhuvendra Nath Dutta) का जन्म हुआ, स्वामी विवेकानंद के छोटे भाई, क्रांतिकारी, लेखक और समाजशास्त्री, जो ‘युगांत’ आन्दोलन से जुड़े थे और सामाजिक समानता के लिए सक्रिय रहे।

4 सितंबर 1803: अलीगढ़ दुर्ग का युद्ध

द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (Second Anglo-Maratha War) के दौरान, 1–4 सितंबर 1803 की अवधि में अलीगढ़ दुर्ग (Aligarh Fort) को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्ज़ा किया। यह दुर्ग फ्रांसीसी सेनापति पीयरे क्यूलियर पेरॉन द्वारा मजबूत किया गया था। अंग्रेज़ सेनापति जनरल लेक ने इस दुर्ग को भारी संघर्ष के बाद जीता, जिसमे मराठा सैनिकों ने तलवार की कतारें और जहरीले बाधाएँ बनाई थीं। उस विजय को ड्यूक ऑफ़ वेलिंगटन ने ‘उत्तरी भारत की ब्रिटिश विजय का एक असाधारण कारनामा’ कहा।

4 सितंबर 1825: दादाभाई नरोजी का जन्म

4 सितंबर 1825 को दादाभाई नरोजी (Dadabhai Naoroji) का जन्म हुआ, जिन्हें 'भारत के ग्रैंड ओल्ड मेन' (The 'Grand Old Men of India') और 'फादर ऑफ़ इंडियन सवराज' ('Father of Indian Swaraj') कहा जाता है। वे पहले भारतीय थे जिन्हें ब्रिटिश संसद का सदस्य चुना गया और वे 'पॉवर्टी ऑफ़ ब्रिटिश रूल इन इंडिया' ('Poverty of British Rule in India') नामक पुस्तक के लिए मशहूर हैं, जिसे आज भी स्वतंत्रता आंदोलन का 'बाइबिल' कहा जाता है।

4 सितंबर 1881: लॉस एंजेलिस टाइम्स की स्थापना

4 सितंबर 1881 को अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में लॉस एंजेलिस टाइम्स (Los Angeles Times) नामक अख़बार की शुरुआत हुई। यह अख़बार आगे चलकर अमेरिका का एक प्रमुख और प्रभावशाली समाचार पत्र बना। इसकी विशेषता यह थी कि इसने स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय मामलों तक पर बेबाक रिपोर्टिंग की। समय के साथ इसने कई बार पुलित्ज़र पुरस्कार भी जीते। मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को मज़बूत करने और जनता तक सटीक समाचार पहुँचाने में इस अख़बार ने गहरी भूमिका निभाई, जो आज भी जारी है।

4 सितंबर 1908: फोर्ड मोटर कंपनी का मॉडल ‘A’ कार लॉन्च

4 सितंबर 1908 को अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Company) ने अपनी पहली कार मॉडल ‘A’ बाज़ार में उतारी। यह वह दौर था जब अमेरिका और दुनिया में औद्योगिक क्रांति तेज़ी से बढ़ रही थी। इस कार के आने से आम लोगों के लिए मोटरगाड़ी का सपना पूरा होना शुरू हुआ। बाद में हेनरी फोर्ड ने मॉडल T लॉन्च कर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। यह घटना न सिर्फ परिवहन की दिशा बदली बल्कि आधुनिक शहरीकरण और उद्योगों के विकास में भी मील का पत्थर साबित हुई।

4 सितंबर 1946: अस्थायी सरकार की स्थापना

4 सितंबर 1946 को भारत में अस्थायी सरकार (Interim Government) की औपचारिक स्थापना हुई। यह सरकार ब्रिटिश शासकों और भारतीय नेताओं के बीच स्वतंत्रता की दिशा में एक संक्रमणकालीन व्यवस्था थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) इसके उपाध्यक्ष बने और इसमें सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए। यह सरकार भारत की प्रशासनिक ज़िम्मेदारी धीरे-धीरे संभालने लगी और आज़ादी की राह प्रशस्त की। इसी अस्थायी सरकार के अनुभव ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल के लिए आधार तैयार किया।

4 सितंबर 1971: कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का निधन

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (KM Munshi) का निधन 4 सितंबर 1971 को हुआ। वे प्रसिद्ध लेखक, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। मुंशी गुजराती भाषा के बड़े साहित्यकारों में गिने जाते हैं और ‘भारत भवन’ (Bharatiya Vidya Bhavan) के संस्थापक थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और बाद में शिक्षा, संस्कृति और भारतीय विरासत के संरक्षण में अहम योगदान दिया। उनकी रचनाएँ इतिहास, संस्कृति और समाज के गहन चित्रण के लिए आज भी पढ़ी जाती हैं।

4 सितंबर 1985: अरजुन दास की राजनीतिक हत्या

4 सितंबर 1985 को भारत में राजनीति से जुड़ी एक दुखद घटना घटी जब अरजुन दास (Arjun Das) की हत्या कर दी गई। वे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के क़रीबी माने जाते थे। हत्या की यह घटना दिल्ली में हुई और इसे उस दौर के राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष से जोड़ा गया। इस हत्या ने कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी। साथ ही, इसने सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर किया और राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े किए।

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