सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर्प्स ने शनिवार को लेह गैरीसन में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां लद्दाख के एलजी आर.के. माथुर ने लेह घाटी की पहाड़ियों पर खादी से बने विशाल झंडे को फहराया। थल सेनाध्यक्ष जनरल एम.एम. नरवणे, लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी ,लेफ्टिनेंट जनरल पीजीकेए मेनन, जीओसी, फायर एंड फ्यूरी कोर और वरिष्ठ सैन्य और नागरिक अधिकारी भी उपस्थित थे।
भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाने के लिए भव्य समारोह आयोजित किया गया था।
सेना ने कहा, "जो झंडा फहराया गया वह भारत में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा हाथ से बुना खादी झंडा है, जो 225 फीट लंबा 150 फीट चौड़ा है। इसका वजन 1,000 किलोग्राम है।"
"झंडा मुंबई में स्थित खादी डायर्स और प्रिंटर द्वारा बनाया गया है जो खादी ग्राम और उद्योग आयोग से संबद्ध है।"
सुरा-सोई इंजीनियर रेजिमेंट को राष्ट्रीय ध्वज को मुंबई से लेह लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और साथ ही अनावरण समारोह के लिए लेह के ऊंची पहाड़ी की चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज स्थापित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य भी सौंपा गया था।
सेना ने कहा, "इस समारोह में महत्वपूर्ण अवसर को चिह्न्ति करने के लिए कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शामिल थी। इस कार्यक्रम की शुरुआत लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंटल सेंटर के ब्रास बैंड के साथ लद्दाख इग्नाइटेड माइंड्स के छात्रों के साथ हुई, जब ध्वज का अनावरण किया गया।"
सेना के उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों ने एक फ्लाई पास्ट किया और राष्ट्रीय ध्वज पर फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा की।(आईएएनएस-SHM)