मानवाधिकार की बात तो की गई, मगर अधिकारों को भुलाते हुए

(Pixabay)
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'विश्व मानवाधिकार दिवस' को आज ही के दिन विश्व भर में मनाया जाता है। किन्तु क्या मानवाधिकार का हनन स्वयं विश्व के बड़े संगठन तो नहीं कर रहे? ऐसा इसलिए कि जब देश में मानवाधिकार का मुद्दा उठता तब एक तथाकथित हितैषी तबका आतंकियों के मानवाधिकार की बात करता है। जब कि कुछ दिन पहले एक शतरंज खिलाड़ी पर इसलिए पाबन्दी लगा दी गई थी क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था। किन्तु मानवाधिकार के तथाकथित जानकार पक्ष ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था।

एक मानवाधिकार संगठन ने तो आईएसआईएस के आतंकियों की गिरफ़्तारी और भूखा रखने पर भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह मानवाधिकार का हनन है। किन्तु कई बड़े संगठनों ने आईएसआईएस के आतंक को ही मनवाधिकार के विपरीत बताया था।

'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है' यह तो सब जानते हैं, किन्तु कुछ बुद्धिजीवियों को केवल देश को बाँटने में ही उल्लास की अनुभुति होती है। इस के लिए आप टुकड़े-टुकड़े गैंग या पालघर लिंचिंग पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। और तो और लव जिहाद पर लाए कानून को भी मानवाधिकार का हनन बताने वाले कम नहीं हैं। दो वकीलों और एक कानूनी शोधकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विवाह के माध्यम से धार्मिक धर्मांतरण की घोषणा करने वाले अध्यादेश को चुनौती दी गई, जिसमें तर्क दिया गया है कि विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले जोड़ों को गलत तरीके से फंसाने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।

क्या तीन तलाक पर कानून भी मानवाधिकार का हनन करने वाला कानून है? क्योंकि इस कानून को भी कुछ नेताओं ने हनन की दृष्टिकोण से देखा है। इस में सबसे ऊपर हैं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी जिन्होंने यह कहा था कि "इस कानून का दुरुपयोग होगा, आप इंतजार करें और देखें"।

आज मानवाधिकार पर दोहरा चरित्र क्यों अपनाया जा रहा है? वोटों के लिए ढोंग क्यों रचा जा रहा है? हिन्दुओं की हत्याओं पर यह सभी अवार्ड वापसी गैंग और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग क्यों चुप्पी साधे बैठेंगे?

हिन्दुओं पर हुए लिंचिंग की एक सूची जिस पर हर कोई चुप रहा:

  • पालघर हत्या, जहाँ दो साधु 'कल्पवृक्ष गिरी महाराज एवं सुशिल गिरी महाराज' को 100 से ज़्यादा लोगों ने बच्चा चोर कह कर मार दिया था। अब तक इन हत्याओं का असल गुनहगार कौन है यह किसी को नहीं पता।
  • हिन्दू-विरोधी दिल्ली हिंसा के दौरान ख़ुफ़िया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई और उनका शव एक नाले में मिला। जिसका मास्टरमाइंड आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन को बताया जा रहा है। और उन्ही पर दिल्ली में हिंसा फ़ैलाने का आरोप भी लगा है।
  • 18 मई 2019 को कृष्ण जन्मभूमि के निकट दुकान लगाने वाले पंकज और भरत यादव पर एक भीड़ ने हमला कर दिया। हमलावरों ने दोनों भाइयों को 'काफिर' कह कर बुरी तरह पीटा जिसके बाद बड़े भाई भरत की इलाज के दौरान मौत हो गई।

मानव के लिए सभी तभी सक्रीय रूप से लागु होते हैं जब हम एजेंडे का चश्मा उतारकर समानता का दामन ओढ़ते हैं।

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