भारत और नेपाल – टू नेशन विद वन पीपल

भारत और नेपाल को अपने रिश्तों में सकारात्मक बदलाव लाने की ज़रूरत है। (Unsplash)
भारत और नेपाल को अपने रिश्तों में सकारात्मक बदलाव लाने की ज़रूरत है। (Unsplash)

भारत और नेपाल के बीच एक ही तरह के व्यक्तियों के साथ दो राष्ट्र (टू नेशन विद वन पीपल) के संबंधों का हवाला देते हुए दोनों ही देशों के विशेषज्ञों ने सीमा विवाद सहित अन्य मतभेदों को बातचीत के जरिए जल्द दूर कर संबंधों में सकारात्मक बदलाव लाने को कहा है। पूर्व भारतीय सेना अधिकारी और असम राइफल्स के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल शोकीन चौहान ने कहा, नेपाल और भारत का साझा इतिहास, साझा भूगोल, साझा संस्कृति और साझा पानी है।

सैन्य कूटनीति को द्विपक्षीय संबंधों का प्रमुख आधार करार देते हुए उन्होंने कहा कि 1950 में कम्युनिस्ट चीन ने जब नेपाल की संप्रभुता पर निशाना साधते हुए उससे 'मेनलैंड में शामिल होने के लिए कहा तो भारतीय सेना ने नेपाली सेना को पुनगर्ठित करने में मदद की थी।

यह उस समय की बात है, जब कम्युनिस्ट चीन के माओत्से तुंग ने नेपाल की संप्रभुता को चुनौती देते हुए नेपाल को चीन की हथेली की पांच उंगलियों में से एक बताते हुए उसे अपने क्षेत्र में मिला लेने की धमकी दी थी।

सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने कहा ,आप भले ही किसी भी रूप में हैं, दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक ही भावना है। नेपाल में 128,000 सैन्य पेंशनधारी हैं, जो देश की आबादी का बड़ा हिस्सा है।

दोनों देशों की समान नियति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नेपाल को भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है और इन चिंताओं का समाधान किए जाने की भी जरूरत है। उन्होंने निष्कर्ष निकालते हुए कहा, हमें (दोनों देश) साथ रहने की जरूरत है।

वह 28 अक्टूबर को दिल्ली स्थित थिंक-टैंक लॉ एंड सोसायटी एलायंस एंड डिफेंस कैपिटल द्वारा ह्यनेपाल-भारत सामरिक समरूपता: साझेदारी को प्रगाढ बनाना विषय पर आयोजित एक वेबिनार में बोल रहे थे।

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने चार नवंबर से छह नवंबर तक नेपाल का दौरा करने वाले हैं। वह नेपाल के अपने समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली से मुलाकात करेंगे।

भारत-नेपाल संबंध के बारे में बात करते हुए, नेपाल के पूर्व मंत्री और नेपाली संघीय संसद के वर्तमान सदस्य, मिनेंद्र रिजाल ने कहा कि हालांकि नेपाल भारत और चीन दोनों की तुलना में एक छोटा राष्ट्र है, मगर वह अपने कूटनीतिक फैसलों के निहितार्थ से अच्छी तरह से अवगत है।

नेपाली संघीय संसद के वर्तमान सदस्य, मिनेंद्र रिजाल। (Facebook)

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत और नेपाल एक विशेष और गहरे और अथाह संबंध साझा करते हैं और बहुत कम देशों में इस तरह के संबंध हैं।

भारत के आर्थिक विकास के बारे में नेपाल के दृष्टिकोण को रखते हुए उन्होंने कहा, ह्लभारत की आबादी नेपाल से 40 गुना अधिक है और इसकी अर्थव्यवस्था नेपाल की अर्थव्यवस्था से 100 गुना बड़ी है। चीन की तुलना में भारत में औसत आयु बहुत कम है। इसलिए, आने वाले 20 से 25 वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। हमें इन तथ्यों का पता है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में नेपाल निश्चित रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण साझीदार बन सकता है। दोनों देशों द्वारा जल संसाधान के प्रबंधन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। भारत नेपाल में पनबिजली से बहुत अधिक लाभ उठा सकता है। नेपाल की मदद से उत्तर भारत में पानी की कमी से निपटा जा सकता है।

नेपाली सेना के सेवानिवृत मेजर जनरल बिनोज बसनयत ने कहा कि रॉ प्रमुख और सेना प्रमुख की नेपाल यात्रा दोनों देशों के संबंधों के हिसाब से महत्वपूर्ण हैं। ये यात्रा दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों, सैन्य कूटनीति की जरूरत, भारत की सुरक्षा चिंताओं और चीन के बढ़ते प्रभाव जैसे मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है।

पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि कोई भी देश अपने भूगोल और पडोस के साथ सांस्कृतिक एकता को नहीं बदल सकता।

उन्होंने कहा, हम पुराने मित्र हैं लेकिन नई स्थिति में हैं। हमें एकसाथ बैठने की जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले समय में दोनों देशों के लोगों के बीच अच्छे संबंध रहें हैं। (आईएएनएस)

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