नस्लवाद यानी रेसिजम जहां रंग और नस्ल के आधार पर भेदभाव की जाती है। भारत में सालों तक रूल करने के बाद नस्लवादी भावना भेदभाव देखाने के बाद आज ब्रिटेन का बदला हुआ स्वरूप नजर आ रहा है। जी हां ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने टोरी पॉजिटिव की वार्षिक कांफ्रेंस को संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने नस्लवाद के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि भारतीय मूल के व्यक्ति का पीएम बनना इस बात का सबूत है कि ब्रिटेन नस्लवादी देश नहीं है। ऋषि सुनक ने कहा कि उनके स्किन का रंग ब्रिटेन के लिए कोई बड़ी डील नहीं है। इस वार्षिक कांफ्रेंस में ऋषि सुनक ने नस्लवाद, धूम्रपान, जेंडर इक्वलिटी, ट्रांसजेंडर के मुद्दों पर खुलकर बातें की। इस दौरान ऋषि सुनक ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई घोषणाएं भी की हैं उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि भविष्य में हमें धूम्रपान करने की आयु सीमा हर साल 1 वर्ष बढ़ा देनी चाहिए। तो चलिए हम विस्तार से जानते हैं कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने और क्या-क्या घोषणाएं की।
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में पहली बार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे उनकी पत्नी भी इस मंच पर दिखी। सुनक के कार्यभार संभालने के करीब 1 साल बाद इस भाषण को उनके राजनीतिक कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण भाषण बताया जा रहा है। पीएम सुनक ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि अगले चुनाव में उन्हें ब्रिटिश जनता का जनादेश मिलेगा उन्होंने कहा कि कभी भी किसी को यह ना कहे कि ब्रिटेन एक नस्लवादी देश है क्योंकि ऐसा नहीं है।
पीएम सुनक ने लैंगिक बहस पर भी अपना रुख स्पष्ट किया उन्होंने साफ कहा कि एक पुरुष सिर्फ पुरुष है और एक महिला सिर्फ महिला। सुनक ने कहा कि हमें इस बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि लोग अपने हिसाब से किसी भी लिंग के हो सकते हैं क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता एक पुरुष हमेशा पुरुष और एक महिला केवल एक महिला हो सकती है, और यह एक केवल सामान्य ज्ञान है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस सम्मेलन में कहा कि उन्हें पहले ब्रिटिश एशियाई प्रधानमंत्री बनने पर गर्व महसूस होता है लेकिन उन्हें इस बात से भी ज्यादा गर्व इस बात का है कि उन्हें यह मौका कंजरवेटिव पार्टी के कारण संभव हो पाया ना कि विपक्षी लेबर पार्टी की बदौलत। इस दौरान ब्रिटिश पीएम सुनक ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई घोषणाएं भी की उन्होंने कहा मेरा मानना है कि भविष्य में हमें धूम्रपान करने की उम्र सीमा हर साल 1 वर्ष बड़ा देनी चाहिए जिससे युवाओं में धूम्रपान को लेकर संचेतना बढ़ेगी।