गरीबों तक नहीं पहुँच रहा Corona उपचार: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन[Wikimedia Commons]
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organizaton, WHO) के प्रमुख का कहना है कि कोरोना महामारी की दवा बनाने वाली कंपनियां रिकॉर्डतोड़ मुनाफा कमा रही हैं लेकिन अब भी गरीबों की पहुंच से Corona उपचार दूर है।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ट्रेडोस गेब्रेसियस ने बुधवार को कहा कि दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामले और कोरोना के कारण होने वाली मौत के आंकड़े घटे हैं लेकिन ये रुझान पूरी कहानी बयान नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा कि ओमीक्रॉन का वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 अमेरिका तथा अफ्रीका में संक्रमण के मामले बढ़ा रहा है।

ओमीक्रॉन का वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 अमेरिका तथा अफ्रीका में संक्रमण के मामले बढ़ा रहा है [IANS]
ओमीक्रॉन का वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 अमेरिका तथा अफ्रीका में संक्रमण के मामले बढ़ा रहा है [IANS]

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि ये नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक घातक हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि लेकिन शुरूआती आंकड़े ये बताते हैं कि टीकाकरण से संक्रमण के कारण अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़ने या मौत होने की संभावना घट जाती है।

उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की शुरूआत में कोरोना टीके के महंगा होने से गरीब लोग जरूरी टीका नहीं ले पाये।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि एक तरफ दवा निर्माता रिकॉर्ड लाभ अर्जित करते रहे लेकिन कोरोना टीके की कम उपलब्धता और ऊंची कीमत की वजह से कुछ देश इसे खरीद ही नहीं पाये।

उन्होंने कहा कि यह नैतिक असफलता है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह की जीवनरक्षक दवाओं की ऐसी कीमत स्वीकार नहीं कर सकते हैं, जो अमीरों के लिये उपलब्ध हों लेकिन गरीबों के लिये नहीं।

अमेरिका दवा कंपनी फाइजर ने इसी सप्ताह वित्तीय परिणाम जारी किया है, जिसके मुताबिक पहली तिमाही में उसका राजस्व गत साल की समान तिमाही की तुलना में 77 प्रतिशत बढ़कर 25.7 अरब डॉलर हो गया है।

कंपनी को कोविड के टीके से 13.2 अरब डॉलर तथा कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों को दिये जाने वाले टैबलेट वैक्सलोविड से डेढ़ अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ है।

इसी तरह मॉडर्ना ने गत साल की पहली तिमाही में 1.7 अरब डॉलर की कोरोना वैक्सीन की बिक्री की थी लेकिन इस साल की पहली तिमाही में यह आंकड़ा तीन गुने से भी अधिक बढ़कर छह अरब डॉलर हो गया। कंपनी की कुल आय भी 1.2 अरब डॉलर से बढ़कर 3.66 अरब डॉलर हो गई।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि फाइजर की पैक्सलोविड अब भी कम आय और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में उपलब्ध नहीं है। दूसरी तरफ, ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि अमेरिका के दवा खानों में करीब छह लाख पैक्सलोविड टैबलेट बेकार पड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की पहचान करने में सक्षम लैब में कम निवेश के बीच शताब्दी की सबसे खराब महामारी के समय लोगों की जान बचाने वाले नवोन्मेषी उपचार तक जरूरतमंदों की पहुंच का न होना, स्वीकार्य नहीं है।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि हम ऐसी आग से खेल रहे हैं, जो हमें लगातार जला रही है।

उन्होंने कहा कि राजनीति प्रतिबद्धता की कमी, संचालन क्षमता की समस्याओं, वित्तीय बाधाओं, गलत जानकारी के कारण हिचकिचाहट की वजह से कोरोना वैक्सीन की मांग सीमित है।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि प्रत्येक देश में कम से कम 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण जरूरी है। अन्य बीमारियों से ग्रसित या उच्च जोखिम वाले समूहों में शत प्रतिशत टीकाकरण जरूरी है। इसके अलावा परीक्षण भी बहुत जरूरी है और जीनोम सिक्वेंसिंग भी आवश्यक है। इससे पता चलता है कि वायरस कैसे बदल रहा है और आगे क्या हो सकता है।

आईएएनएस (PS)

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