गाजा में युद्ध समाप्त करने के प्रयास में डोनाल्ड ट्रंप, पाकिस्तान समेत अरब नेताओं से की मुलाकात

वाशिंगटन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठकों से अलग पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत मुस्लिम देशों के चुनिंदा नेताओं के साथ गाजा मुद्दे पर एक बहुपक्षीय बैठक की।
गाजा में युद्ध समाप्त करने के प्रयास में डोनाल्ड ट्रंप, पाकिस्तान समेत अरब नेताओं से की मुलाकात
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मंगलवार को हुई इस बैठक में तुर्की, कतर, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और जॉर्डन के नेताओं ने हिस्सा लिया।

इस वार्ता में गाजा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से संभावित राजनयिक, राजनीतिक और मानवीय विकल्पों पर चर्चा की गई।

नेताओं ने क्षेत्र में तनाव कम करने, युद्धविराम व्यवस्था और दीर्घकालिक स्थिरता के उपायों पर विचार-विमर्श किया।

इसी बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह दिन की उनकी 'सबसे महत्वपूर्ण बैठक' थी और इसका लक्ष्य गाजा में युद्ध को जल्द समाप्त करना था।

उन्होंने बैठक की शुरुआत में कहा, "यह मेरी आज की सबसे अहम बैठक है। मैंने कई महत्वपूर्ण बैठकें की हैं, लेकिन यह मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है, क्योंकि हम एक ऐसे युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं, जो शायद आपने शुरू नहीं किया। हम गाजा में युद्ध समाप्त करना चाहते हैं। हम इसे खत्म करने जा रहे हैं। शायद हम इसे अभी समाप्त कर सकें।"

कतर के अमीर शेख तमीम ने गाजा मुद्दे पर बैठक आयोजित करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद किया और कहा कि अरब नेता संघर्ष को समाप्त करने के लिए उन पर भरोसा कर रहे हैं।

उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) से कहा, "हम यहां सिर्फ इसीलिए हैं ताकि युद्ध रोका जा सके और बंधकों को वापस लाया जा सके। हम इस युद्ध को समाप्त करने और गाजा के लोगों की मदद के लिए आप और आपकी नेतृत्व क्षमता पर भरोसा करते हैं।"

बैठक के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए, लेकिन कहा कि उनकी बैठक बहुत अच्छी रही।

इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में अपने संबोधन के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने शांति स्थापित करने के 'उचित प्रस्तावों' को अस्वीकार करने के लिए हमास को सीधे तौर पर दोषी ठहराया और उन देशों की आलोचना की, जिन्होंने हाल ही में एक फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है।

उन्होंने आगे कहा, "हम 7 अक्टूबर को नहीं भूल सकते। ऐसा लगता है कि कुछ देश संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए एकतरफा रूप से फिलिस्तीन को मान्यता देने की कोशिश कर रहे हैं। यह हमास आतंकवादियों और उनके अत्याचारों के लिए बहुत बड़ा इनाम होगा। जो लोग शांति चाहते हैं, उन्हें एक आवाज में कहना चाहिए, बंधकों को अभी रिहा करो।"

इस हफ्ते ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, पुर्तगाल और यूनाइटेड किंगडम समेत 10 देशों ने औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी को मान्यता दी है।

[SS]

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