
गुरुवार को न्यूयॉर्क (NewsYork) में पांचवीं भारत-सिका विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर ने कहा, "हमारे देश विकास, गरीबी उन्मूलन और जलवायु परिवर्तन जैसी समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अगर हम मिलकर काम करें तो इनका अधिक प्रभावी ढंग से समाधान कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि यह साझेदारी ठोस परिणाम दे सकती है, जो एक अधिक समावेशी, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में योगदान देगी।"
उन्होंने कहा, "हम डिजिटल क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ ही जलवायु कार्रवाई में निश्चित रूप से आगे बढ़ना चाहेंगे।"
सेंट्रल अमेरिकन इंटीग्रेशन सिस्टम (सिका), जिसमें आठ देश शामिल हैं, क्षेत्रीय आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के लिए काम करती है। भारत ने 2004 से इस समूह के साथ मंत्रिस्तरीय स्तर पर काम करना शुरू किया था।
जयशंकर ने कहा कि भारत का सिका के साथ सहयोग काफी गहरा हुआ है, क्योंकि दोनों ने कोरोना महामारी के बाद की रिकवरी, ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन, विकास के लिए वित्तपोषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने में प्रगति की है।
उन्होंने भारत में विकसित यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को बढ़ावा देते हुए कहा कि इसने निर्बाध, वास्तविक समय और सुरक्षित धन हस्तांतरण सुनिश्चित करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
उन्होंने बताया, "आज, दुनिया के आधे से अधिक कैशलेस भुगतान भारत में इसी सिस्टम के कारण होते हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत का निजी क्षेत्र सिका देशों में कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में निवेश करने में रुचि दिखा रहा है, जहां भारत ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहा है।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि भारत की कई कंपनियों ने सौर, हरित हाइड्रोजन और बायोएनर्जी जैसे क्षेत्रों में विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति बनाई है, जो सहयोग के अन्य संभावित क्षेत्र हो सकते हैं।
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भारत द्वारा सिका देशों को टीके आपूर्ति करके क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने की बात को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत, सिका के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और किफायती स्वास्थ्य सेवा का समर्थन करने के लिए तैयार है।
जयशंकर ने बताया कि पिछले साल जब सिका देशों को तूफानों से बुनियादी ढांचे और आजीविका को व्यापक नुकसान हुआ था, तब भारत ने एकजुटता के प्रतीक के रूप में आवश्यक दवाएं, राहत सामग्री और आपातकालीन सहायता प्रदान की थी।
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