विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने यहां पहली आसियान-भारत (ASEAN–India) विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नई दिल्ली दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के एक मजबूत, एकीकृत और समृद्ध संघ का पूरा समर्थन करता है। विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) की ओर से गुरुवार को जयशंकर के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया, "यह मार्ग भू-राजनीतिक बाधाओं के साथ और भी कठिन हो गया है। इसका सामना हम यूक्रेन युद्ध और खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के रूप में कर रहे हैं, जो उर्वरक और वस्तुओं की कीमतों, और रसद और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के कारण हैं।"
उन्होंने कहा कि ASEAN हमेशा "क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। संगठन ने इस क्षेत्र में अपने लिए सफलतापूर्वक एक जगह बनाई है और भारत-प्रशांत में विकसित रणनीतिक और आर्थिक नींव प्रदान की है।"
उन्होंने कहा, "ASEAN की भूमिका आज शायद पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि भू-राजनीतिक चुनौतियों और अनिश्चितताओं का सामना दुनिया कर रही है। भारत पूरी तरह से एक मजबूत, एकीकृत और समृद्ध आसियान का समर्थन करता है।"
Jaishankar ने आगे कहा, "ASEAN-India Relation, समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और वास्तव में हर गुजरते दशक के साथ मजबूत होते गए हैं।"
उन्होंने कहा, "1992 की क्षेत्रीय भागीदारी 2002 में एक शिखर सम्मेलन स्तर की साझेदारी में परिपक्व हुई और 2012 में आगे एक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुई। इसने संबंधों के चौथे दशक में प्रवेश किया है।"
विदेश मंत्री ने कहा, "एक बेहतर कनेक्टेड भारत और आसियान विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए अच्छी तरह से तैनात होंगे, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बहुत आवश्यकता है।"
मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के तहत, जैसा कि हम पिछले 30 वर्षों की अपनी यात्रा की समीक्षा करते हैं और आने वाले दशकों के लिए अपना रास्ता तैयार करते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी चल रही पहलों की शीघ्र प्राप्ति सुनिश्चित करते हुए प्राथमिकताओं के एक नए सेट की पहचान करें।"
(आईएएनएस/PS)