
नेतन्याहू (Netanyahu) ने कहा, "हमारी जमीन पर आतंकवादी राज्य थोपने की इस नई कोशिश का जवाब मैं अमेरिका से लौटने के बाद दूंगा।"
तीनों देशों की सरकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "7 अक्टूबर के भयावह नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने वाले नेताओं के लिए मेरा एक स्पष्ट संदेश है कि आप आतंक को एक बड़े इनाम से पुरस्कृत कर रहे हैं और मेरे पास आपके लिए एक और संदेश है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं होगा।"
फिलिस्तीनी राज्य के गठन के अपने पुराने विरोध को दोहराते हुए नेतन्याहू ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के विस्तार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों से मैंने घरेलू और विदेशी दबाव के बावजूद उस आतंकवादी राज्य के गठन को रोका है। हमने यह दृढ़ संकल्प से किया है। इसके अलावा हमने यहूदिया और सामरिया में यहूदी बस्तियों की संख्या दोगुनी कर दी है और हम इसी राह पर चलते रहेंगे।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता देने का यह कदम दो-राज्य समाधान के लिए गति को फिर से बढ़ाने के व्यापक अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है, हालांकि इस फैसले की इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने कड़ी आलोचना की है।
इजराइली विदेश मंत्री गिडिअन सार (Israeli Foreign Minister Gideon Saar) ने भी इस निर्णय की निंदा की और इसे एक गंभीर गलती बताया। उन्होंने कहा, "दुनिया के अधिकांश देश पहले भी फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुके हैं। यह निर्णय पहले भी गलत था, लेकिन जिन सरकारों ने अभी इसे मान्यता देने का फैसला किया है, वे अनैतिक, घिनौना और शर्मनाक काम कर रही हैं।
सार का तर्क था कि इस समय जब इजरायल हमास और उसके सहयोगियों के खिलाफ सैन्य अभियान में लगा हुआ है, ऐसे में इस तरह की मान्यता इतिहास में शर्मनाक घटना के रूप में दर्ज होगी।
उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर के बाद जिन सरकारों ने ऐसा फैसला लिया, यह हमास के लिए पुरस्कार जैसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में अमेरिका ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण पर प्रतिबंध लगाए, क्योंकि वह दोषी हमलावरों को भत्ते देकर आतंकवाद को प्रोत्साहन दे रहा है।
हाल ही में, अमेरिका ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) और इसके नेताओं के खिलाफ कदम उठाए, क्योंकि वे आतंकवादियों को वेतन देकर पुरस्कृत करने की नीति जारी रखे हुए हैं। सार ने कहा कि वे उन देशों की विपक्षी पार्टियों के रुख से उत्साहित हैं, जिन्होंने अपने देशों की सरकारों के इस कदम का विरोध किया और इसे गलत माना। उन्होंने कहा कि इन देशों में भी हमारे कई दोस्त हैं।
सार ने इस बात पर जोर दिया कि इजराइल की संप्रभुता को बाहरी दबाव से कमजोर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं होगी, क्योंकि इजराइल की जनता इसका भारी बहुमत से विरोध करती है। यह एक अव्यवहारिक विचार है।
उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य लंदन या पेरिस में नहीं, बल्कि यरुशलम में तय होगा। हम उन कदमों के खिलाफ कूटनीतिक स्तर पर मजबूती से लड़ते रहेंगे, जो इजराइल और उसके भविष्य के लिए खतरा हैं। हमारे दुनियाभर के दोस्त, खासकर अमेरिका, हमारे साथ खड़े रहेंगे। इजराइल का अस्तित्व हमेशा बना रहेगा।
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