फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, 200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार; 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात

फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन के तहत हो रहे प्रदर्शनों ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पुलिस ने अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।
फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों परआंदोलन
फ्रांसIANS
Published on
Updated on
2 min read

ये विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा उनके करीबी सहयोगी सेबास्टियन लेकॉर्नू को नया प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद और तेज हो गए हैं।

फ्रांसीसी अधिकारियों ने हालात संभालने के लिए 80,000 पुलिसकर्मी और जेंडरम तैनात किए। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी, बैरिकेड्स और यातायात अवरोध पैदा किए। राजधानी पेरिस के रिंग रोड, जो यूरोप का सबसे व्यस्त शहरी मार्ग है, प्रदर्शनकारियों ने उसे भी अवरुद्ध करने की कोशिश की गई। बुधवार सुबह तक केवल पेरिस क्षेत्र में 95 और राजधानी से बाहर आठ गिरफ्तारियां हुईं।

पेरिस (Paris) के पूर्वी हिस्से पोर्त द मोन्त्रुई में प्रदर्शनकारियों ने कूड़ेदान में आग लगा दी और ट्राम की पटरियों को बाधित करने की कोशिश की। पुलिस ने तुरंत अवरोध हटाकर भीड़ को तितर-बितर किया। प्रदर्शनकारी हाईवे पर भी पहुंचे, लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें रोक दिया। हालात पेरिस के व्यस्ततम रेलवे स्टेशन ‘गारे द नॉर्द’ के आसपास तनावपूर्ण हो गए, जहां सैकड़ों लोग जमा हो गए। पुलिस ने स्टेशन का रास्ता बंद कर दिया और भीड़ को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे आम यात्री भी प्रभावित हुए।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। आज हम मैक्रों को यह दिखाने आए हैं कि जनता अब तंग आ चुकी है। वह लोगों की आवाज को यूं ही नजरअंदाज नहीं कर सकते।”

जानकारी के मुताबिक, यह आंदोलन सोशल मीडिया (social media) और टेलीग्राम (Telegram) चैनलों के जरिए संगठित किया गया है। महंगाई, मितव्ययिता उपायों और कथित “अकार्यकुशल राजनीतिक व्यवस्था” को लेकर जनता का गुस्सा इसमें साफ दिख रहा है। हालांकि 2018 के ‘येलो वेस्ट’ प्रदर्शनों की तुलना में यह आंदोलन कम संगठित है, लेकिन ऑनलाइन समर्थन काफी मिल रहा है।

दो प्रमुख यूनियनों, सीजीटी और एसयूडी, ने बुधवार को प्रदर्शनों का समर्थन किया है। वहीं, 18 सितंबर को व्यापक हड़ताल की भी घोषणा की गई है। एक इप्सोस सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 46 प्रतिशत फ्रांसीसी नागरिकों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है, जिसमें वामपंथियों के साथ-साथ दक्षिणपंथी नेशनल रैली के आधे से अधिक समर्थक भी शामिल हैं।

स्वास्थ्यकर्मी और फार्मेसी कर्मचारी भी मेडिकल रिइम्बर्समेंट में कटौती के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यूनियनों ने चेतावनी दी है कि इससे फ्रांस की 20,000 फार्मेसियों में से लगभग 6,000 बंद हो सकती हैं।

लोगों का गुस्सा बायरू सरकार के उन प्रस्तावों पर भी है, जिनमें दो सार्वजनिक अवकाश खत्म करने और बजट घाटा कम करने जैसे कठोर कदम शामिल थे। कई प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति मैक्रों से संसद भंग कर तुरंत नए चुनाव कराने की मांग की है।

(BA)

फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों परआंदोलन
रामपुर रियासत : नवाबी शान से खजाने के रहस्य तक की अनसुनी कहानी

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com