क्या मध्य पूर्व (Middle East) में छिड़ने वाली है तीसरी बड़ी जंग ?

13 जून को इज़राइल (Israel) ने ईरान (Iran) पर हवाई हमला (Attack) कर उसके परमाणु (Nuclear) ठिकानों को निशाना बनाया। कई टॉप सैन्य अधिकारी मारे गए। दोनों देशों की दशकों पुरानी दुश्मनी अब खुली जंग में बदल रही है। अमेरिका (America) दूरी बना रहा है, लेकिन क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया है।
इज़राइल और ईरान की यह दुश्मनी सिर्फ बमों और मिसाइलों से नहीं लड़ी जा रही, बल्कि यह विचारधारा, अस्तित्व और क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग है। [Wikimedia commons]
इज़राइल और ईरान की यह दुश्मनी सिर्फ बमों और मिसाइलों से नहीं लड़ी जा रही, बल्कि यह विचारधारा, अस्तित्व और क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग है। [Wikimedia commons]
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13 जून 2025 – एक नई जंग की शुरुआत ?

13 जून को इज़राइल (Israel) ने ईरान (Iran) की धरती पर बड़ा हवाई हमला किया, जिसे “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम दिया गया। इस हमले में इज़राइली लड़ाकू विमानों ने ईरान (Iran) के कई परमाणु (Nuclear) ठिकानों, मिसाइल फैक्ट्रियों और सेना के टॉप अधिकारियों को निशाना बनाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और कई वरिष्ठ परमाणु (Nuclear) वैज्ञानिक इस हमले में मारे गए हैं। इस हमले के बाद इज़राइल (Israel) ने "विशेष स्थिति" की घोषणा की है, यानी युद्ध का माहौल पूरी तरह बन चुका है। ईरान ने घायल की संख्या को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, लेकिन बदले की चेतावनी दी है।

इज़राइल (Israel)और ईरान (Iran) के रिश्ते बहुत पुराने समय से खराब हैं। ये सिर्फ युद्ध या हमलों की वजह से नहीं, बल्कि तीन बड़े कारणों की वजह से हैं:

1. विचारधारात्मक मतभेद – ईरान खुद को इस्लामी क्रांति का संरक्षक मानता है और खुले तौर पर इज़राइल (Israel) को एक "अवैध यहूदी राष्ट्र" कहता है। वहीं इज़राइल (Israel) इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है।

2. परमाणु हथियारों का डर – इज़राइल (Israel) को डर है कि ईरान अगर परमाणु (Nuclear) हथियार बना लेता है, तो यह उसकी सुरक्षा और अस्तित्व पर सबसे बड़ा खतरा होगा।

3. प्रॉक्सी गुटों का समर्थन – ईरान (Iran) ने हमास, हिज़्बुल्लाह, हौथी और अन्य आतंकी संगठनों को पैसा, हथियार और ट्रेनिंग दी है। ये गुट इज़राइल पर बार-बार हमले करते हैं।

इज़राइल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच यह तनाव धीरे-धीरे भड़कता गया और फिर खुली जंग का रूप ले लिया:

7 अक्टूबर 2023: हमास ने इज़राइल (Israel) पर हमला किया, जिसमें 1100 से ज्यादा लोग मारे गए।

1 अप्रैल 2024: इज़राइल (Israel) ने दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर बम गिराया, जिससे ईरानी (Iran) जनरल मारा गया।

13-14 अप्रैल 2024: ईरान (Iran) ने पहली बार सीधे इज़राइल पर 300 से ज्यादा मिसाइलें दागीं, जिन्हें इज़राइल (Israel) ने रोक लिया।

1 अक्टूबर 2024: ईरान (Iran) ने फिर से 200 बैलिस्टिक मिसाइलें इज़राइल पर छोड़ीं।

13 जून 2025: इज़राइल (Israel) ने ईरान (Iran) की धरती पर बड़ी हवाई कार्रवाई की, परमाणु (Nuclear) संयंत्रों, मिसाइल फैक्ट्रियों और अफसरों को निशाना बनाया।

ईरान (Iran) का दावा है कि वह परमाणु (Nuclear) हथियार नहीं बना रहा, लेकिन IAEA (परमाणु एजेंसी) ने उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। इज़राइल (Israel) का कहना है कि ईरान (Iran) के पास 15 बम बनाने लायक यूरेनियम है। साथ ही, ईरान ने हिज़्बुल्लाह (लेबनान), हमास (गाज़ा), हौथी (यमन), और सीरिया-इराक की मिलिशिया को तैयार किया है, जो इज़राइल (Israel) पर हमला करते हैं। इज़राइल (Israel) इन प्रॉक्सी गुटों को सीधा खतरा मानता है।

अमेरिका (America) की भूमिका: दोस्त, लेकिन दूरी बनाए हुए

अमेरिका (America) इज़राइल (Israel) का करीबी सहयोगी है, लेकिन उसने इस ऑपरेशन से खुद को दूर बताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “हम हमलों में शामिल नहीं हैं, हमारी प्राथमिकता अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा है।” हालांकि, अमेरिका (America) ने अपने दूतावास खाली किए, सैन्य संपत्तियाँ फिर से तैनात की और पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित कर दिया। यह दिखाता है कि अमेरिका (America) सार्वजनिक रूप से भले तटस्थ हो, लेकिन अंदर ही अंदर वह पूरी स्थिति को मैनेज कर रहा है।

ईरान (Iran) चुप नहीं बैठेगा। वह या तो सीधे मिसाइलों से हमला करेगा या अपने प्रॉक्सी गुटों से कराएगा। साइबर युद्ध: दोनों देशों के बीच साइबर हमले आम हैं, जिनमें सरकारी वेबसाइट, बिजली संयंत्र, रक्षा नेटवर्क टारगेट बनते हैं। ओमान में अमेरिका (America) -ईरान की परमाणु बातचीत बीच में लटक गई है। इस युद्ध ने शांति की संभावनाओं को और कमजोर कर दिया है। यह संघर्ष अब सिर्फ इज़राइल (Israel) और ईरान (Iran) तक सीमित नहीं रहा। इसमें लेबनान, सीरिया, इराक, यमन जैसे देश भी शामिल होते जा रहे हैं। हर तरफ तनाव है और एक छोटी चिंगारी बड़ा क्षेत्रीय युद्ध छेड़ सकती है।

इस हमले के बाद इज़राइल ने "विशेष स्थिति" की घोषणा की है, यानी युद्ध का माहौल पूरी तरह बन चुका है। Wikimedia commons
इस हमले के बाद इज़राइल ने "विशेष स्थिति" की घोषणा की है, यानी युद्ध का माहौल पूरी तरह बन चुका है। Wikimedia commons

इज़राइल (Israel) और ईरान (Iran) की यह दुश्मनी सिर्फ बमों और मिसाइलों से नहीं लड़ी जा रही, बल्कि यह विचारधारा, अस्तित्व और क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग है। जहां एक ओर इज़राइल (Israel) को अपने अस्तित्व की चिंता है, वहीं ईरान खुद को क्षेत्र में ताकतवर साबित करना चाहता है। अमेरिका (America), भले सीधे शामिल न हो, पर उसकी भूमिका निर्णायक है। दुनिया को इस आग को और भड़काने के बजाय, बुझाने की कोशिश करे। वरना यह लड़ाई सिर्फ दो देशों की नहीं रहेगी, यह पूरी दुनिया को हिला सकती है। [Rh/PS]

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