टिकटॉक का नया सफर: ट्रेंड से ट्रस्ट तक !

टिकटॉक, यह एक शॉर्ट-वीडियो ऐप है। जो हज़ारों भारतीयों की तरह अमेरिका जैसे देश में भी खूब लोकप्रिय है, जो की अब एक बड़े राजनीतिक और सुरक्षा विवाद के केंद्र में आ गया है।
टिकटॉक का लोगो है फ़ोन में
टिकटॉक, यह एक शॉर्ट-वीडियो ऐप है। जो हज़ारों भारतीयों की तरह अमेरिका जैसे देश में भी खूब लोकप्रिय है।Pexels
Published on
Updated on
3 min read

टिकटॉक, यह एक शॉर्ट-वीडियो ऐप है। जो हज़ारों भारतीयों की तरह अमेरिका जैसे देश में भी खूब लोकप्रिय है, जो की अब एक बड़े राजनीतिक और सुरक्षा विवाद के केंद्र में आ गया है। अमेरिकी सरकार का मानना है कि टिकटॉक का डेटा चीनी कंपनी बाइटडांस के पास होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसलिए इस ऐप के यू.एस. संचालन (U.S. Operations) को अलग इकाई (Unit) में बांटने की योजना बन रही है, ताकि टिकटॉक का नियंत्रण अमेरिका के हाथ में हो।

क्या है नया नियम ?

बता दें की अमेरिका और चीन ने एक प्रारंभिक समझौता किया है जिसमें यह बात हुयी है कि टिकटॉक की U.S इकाई अमेरिका में स्थित निवेशकों और कंपनियों के नियंत्रण में होगी। इसमें बाइटडांस (चीन की कंपनी) अपनी हिस्सेदारी बनाए रख सकती है, लेकिन यह हिस्सेदारी 20% कम होगी, और बाकी के 80 % का नियंत्रण नए अमेरिका-नेतृत्व वाले समूह के हाथों में होगा। इतना ही नहीं अमेरिकी यूज़र्स का डेटा अमेरिका में ही सुरक्षित सर्वर पर रखा जाएगा, और सुरक्षा कंपनी जैसे ओरेकल (Oracle) के पास इस हिस्से की ज़िम्मेदारी होगी।

 अमेरिका का फ्लैग के ऊपर पैसे रखे है
अमेरिका और चीन ने एक प्रारंभिक समझौता किया है।Pexels

क्यों हो रहा ये विवाद?

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका को डर है कि चीन की सरकार बाइटडांस (ByteDance) के माध्यम से अमेरिकी यूज़र्स का डेटा एक्सेस कर सकता है, या एल्गोरिदम (Algorithm) का उपयोग अमेरिकी राजनीति या अभिव्यक्ति पर राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए भी किया जा सकता है।

क्या है वर्तमान की स्थिति ?

अभी तक तो एक प्रारंभिक समझौता (Framework Agreement) हो गया है और अमेरिका को भरोसा है कि चीन भी इस पर तैयार है। जल्द ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) करने वाले हैं, जिसमें इस डील को कानूनी रूप से वैध माना जाएगा, और टिकटॉक बैन के कानून के प्रवर्तन (Enforcement) को कुछ समय के लिए टालने की व्यवस्था होगी।

इसका असर क्या होगा ?

अगर यह सौदा सफल रहा, तो फिर टिकटॉक यू.एस. में खुला रहेगा और वहां के यूजर्स इस ऐप से दूर नहीं रह पाएंगे। इतना ही नहीं अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का डेटा देश में ही सुरक्षित सर्वर पर होगा,यह बात गोपनीयता के लिए एक अच्छा संकेत है।इसके साथ ही, यह अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी और व्यापारिक तनाव को थोड़ा कम कर सकता है, क्योंकि यह दिखाता है कि दोनों देश बातचीत से समाधान खोज सकते हैं।

निष्कर्ष

आज की यह टिकटॉक (Tik Tok) की डील सिर्फ एक ऐप की कहानी नहीं है, बल्कि यह टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और राजनीति का संगम है। यह साबित करता है कि डिजिटल दुनिया अब सिर्फ मनोरंजन या सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संतुलन का भी हिस्सा है। अमेरिका चाहता है कि ऐप और डेटा का नियंत्रण देश के अंदर रहे, जिससे विदेशों से कोई कंपनी या सरकार उस पर अनियंत्रित प्रभाव न डाल सके। वहीं चीन चाहता है कि उसका स्वामित्व और तकनीकी नियंत्रण पूरी तरह न खो जाए। और टिकटॉक को लेकर इस तरह की बातो के कारण दोनों की मांगों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश हो रही है।

[Rh/SS]

टिकटॉक का लोगो है फ़ोन में
डिजिटल अरेस्ट: ठगी या नया जाल, हकीकत या अफ़वाह ?

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com