चीन में शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल

चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में बने रहने की पुष्टि
शी जिनपिंग
शी जिनपिंगIANS

चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में बने रहने की पुष्टि के साथ देश ने इतिहास रचा है। जिनपिंग के तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के साथ ही पार्टी का चार दशक पुराना नियम भी टूट गया है। स्काई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में 1982 में सर्वोच्च पद पर 10 साल के कार्यकाल का नियम बनाया गया था। हालांकि, जिनपिंग को पांच और वर्षो तक सत्ता में रखने के लिए इस नियम को किनारे कर दिया गया। यानी अगले पांच साल के लिए पार्टी और देश के नेतृत्व की जिम्मेदारी शी जिनपिंग को सौंपी गई है- और वह, सिद्धांत रूप में खुद को जीवन भर के लिए नेता बना सकते हैं।

पार्टी संस्थापक माओ जेदोंग के बाद वह ऐसे पहले चीनी नेता हैं, जिन्हें इस पद पर तीसरे कार्यकाल के लिए चुना गया है। यह फैसला चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) की सप्ताह भर चलने वाली 20वीं पार्टी कांग्रेस के अंत में हुआ। यह हर पांच साल में एक बार होने वाला आयोजन है, जिसका मुख्य उद्देश्य उन लोगों का चयन करना है जो अगले पांच वर्षो के लिए शीर्ष नेतृत्व की भूमिकाओं में बैठेंगे।

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इसमें चीन में राजनीतिक शक्ति के शीर्ष के रूप में देखे जाने वाले दो समूह शामिल हैं - 25 मजबूत पोलित ब्यूरो और पोलित ब्यूरो स्थायी समिति जो इस समय राष्ट्रपति समेत सात लोगों से बनी है। इस समिति की ओर से ही पार्टी महासचिव के तौर पर जिनपिंग का भी चुनाव हुआ। उन्हें अगले पांच साल के लिए पार्टी और देश के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्काई न्यूज ने बताया कि राष्ट्रपति के रूप में उनकी आधिकारिक पुष्टि मार्च में होगी।

चीनी राष्ट्रपतियों पर दो कार्यकाल की सीमा 1980 के दशक की शुरुआत में अध्यक्ष माओ (Mao) के निधन के मद्देनजर शुरू की गई थी। माओ के लगभग 30 साल के शासन ने चीन के लिए बड़ी अराजकता, हिंसा और अस्थिरता देखी। इसके बाद तय किया गया कि सत्ता फिर कभी एक व्यक्ति के हाथों में इतनी केंद्रीकृत न हो।

लेकिन 2018 में राष्ट्रपति शी ने संविधान से दो कार्यकाल की सीमा को सफलतापूर्वक हटा दिया- उनकी शक्ति के सुदृढ़ीकरण का मार्ग प्रशस्त करते हुए हमने इस सप्ताह के अंत में देखा है।

स्काई न्यूज ने बताया कि राष्ट्रपति शी की 'मूल' स्थिति को और उजागर करने के लिए इस सप्ताह अन्य संवैधानिक संशोधन किए गए हैं। पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में बदलाव से यह भी पता चलता है कि वह तेजी से अप्रतिरोध्य हो गए हैं।

दूसरे नंबर के नेता प्रीमियर ली क्विंग और वांग यांग सहित कई वरिष्ठ नेता या तो सेवानिवृत्त हो गए और केंद्रीय समिति में जगह बनाने में विफल रहे हैं। कथित तौर पर ये नेता अधिक सुधार-झुकाव वाले हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी कट्टर राष्ट्रपति शी के वफादार नहीं माना जाता है। दो अन्य सेवानिवृत्ति के साथ, शीर्ष टीम में चार नए चेहरे शामिल किए गए। चारों ऐसे हैं जिन्हें शी के अंदरूनी घेरे में माना जाता है।

स्काई न्यूज ने बताया कि सभी ने उनके करियर में विभिन्न बिंदुओं पर उनके साथ मिलकर काम किया है और उन्हें अत्यधिक भरोसेमंद माना जाता है।

स्थायी समिति लाइन-अप में भी कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं था। शी जिनपिंग (69) को सीपीसी के महासम्मेलन (कांग्रेस) में एक दिन पहले शक्तिशाली केंद्रीय समिति में चुना था, जबकि वह आधिकारिक सेवानिवृत्त आयु यानी 68 वर्ष की सीमा पार कर चुके हैं और उनका 10 साल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।

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स्काई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह इंगित करता है कि शी वास्तव में आगे 10 साल या उससे अधिक समय तक बने रहने का मन बना चुके हैं।

उनकी समेकित स्थिति चीन और दुनियाभर में बहुत मायने रखती है। उनके नेतृत्व में चीन तेजी से समृद्ध और मजबूत हुआ है। उनकी अति-राष्ट्रवादी दृष्टि ने इसे विदेशी मंच के प्रति अधिक मुखर और इसके प्रभुत्व के बारे में अप्राप्य बना दिया है। लेकिन अपने दस वर्षो के शासन में राष्ट्रपति शी ने अपने नियंत्रण में पार्टी के भीतर अधिकांश शक्ति को केंद्रीकृत कर दिया है। उन्होंने प्रतिद्वंद्वियों का सफाया कर दिया है और असंतोष की अवाज को दबा दिया है।

स्काई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में लोगों पर तेजी से निगरानी और सेंसर (रोक) लगाए जा रहे हैं। पत्रकारों, वकीलों और नागरिक समाज समूहों को काफी हद तक खामोश कर दिया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अब उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए एक राजनीतिक भूकंप की जरूरत होगी, ऐसा कुछ जिसकी संभावना नहीं के बराबर है।

आईएएनएस/RS

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