क्या बुर्के पर प्रतिबंध लगाना जरूरी ?

क्या बुर्के पर प्रतिबंध लगाना जरूरी ?

यूरोप (Europe) के कई देशों ने , महिलाओं के बुर्का (Burqa) पहनने पर पाबंदी लगा दी है। बताया जा रहा है कि , यह प्रतिबंध सुरक्षा (Saftey) कारणों की वजह से लगाया जा रहा है। बुर्का बैन (Burqa Ban) कुछ वक्त पहले तक केवल दक्षिणपंथी लोगों में देखने को मिल रहा था लेकिन अब यह वैश्विक स्तर पर भी नज़र आने लगा है।

सबसे पहले यूरोपीय देशों में , फ्रांस (France) ने मुस्लिम (Muslim) महिलाओं के बुर्का (Burqa) पहनने पर न केवल प्रतिबंध लगाया बल्कि नियम को ना मानने वालों पर जुर्माने का भी प्रबंध किया है। इसी अंतराल में 'बेल्जियम' (Belgium) सरकार ने भी 2011 में मुस्लिम (Muslim) महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगा दी है। इसके तहत उन्होंने सख्त कानून भी बनाए जिसमें बुर्का (Burqa) पहनने पर 7 दिन की जेल या 1300 यूरो तक का प्रावधान किया गया है। इसकी तरह अन्य देशों ने भी जिनमें 'डेनमार्क' (Denmark) में भी बुर्के और नकाब को लेकर , सार्वजनिक क्षेत्रों पर बैन लगा दिया गया है। 'हॉलैंड' (Holand) में भी 2015 में बुर्के (Burqa) पर बैन लगाया गया लेकिन वहां ये नियम कुछ ही जगहों पर लागू होते हैं। 'स्विट्जरलैंड' (Switzerland) में 2016 में बुर्के पर प्रतिबंध लगाया गया, जिसमें नियमों का उल्लघंन करने वालों पर 9200 यूरो तक का जुर्माना लगाया जाता है। 'जर्मनी' (Germany) में 2017 से बुर्के (Burqa) और नकाब जैसे चीज़ों पर रोक लगा दी गई है लेकिन वहां सरकारी नौकरी और सेना पर यह नियम लागू नहीं होते हैं। 'स्पेन' (Spain) के कुछ क्षेत्रों में बुर्के (Burqa) पर पाबंदी है। अब भी कई राज्यों में बुर्के बैन को लेकर मांगे उठ रही हैं, लेकिन वहां की सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह , धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन है। 'तुर्की' (Turkey) जो एक मुस्लिम बहुल आबादी वाला देश है , वहां 2013 में सरकारी संस्थानों में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध था लेकिन अब ऐसा वहां नहीं है लेकिन कुछ क्षेत्रों जैसे , अदालत , सेना और पुलिस में बुर्का पहन कर जाने की अनुमति नहीं है।

अब इस बुर्के बैन (Burqa Ban) की श्रृंखला में श्रीलंका (Sri lanka) भी शामिल हो चला है। 2019 में श्रीलंका (Sri lanka) में चर्च और होटलों में हुए हमलों में कई लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद से इस मुद्दे ने तेज़ी पकड़ ली है। श्रीलंका (Sri lanka) की सरकार ने कहा की , शुरुआती दिनों में महिलाएं यहां बुर्का नहीं पहना करती थी। यह एक धार्मिक अतिवाद का प्रतीक है। जिसे बंद करना अतिआवश्यक है। सरकार ने कहा की , यह फैसला राष्ट्रिय सुरक्षा (National Security) को ध्यान में रखकर लिया गया है। इसके अलावा श्रीलंका सरकार ने , कई हजार इस्लामिक (Islamic) स्कूलों को भी बंद करवा दिया है।

मुस्लिम समाज में महिलाएं बुर्का (Burqa) पहनकर रखती हैं। (Pixabay)

श्रीलंका (Sri lanka) में हुए, बुर्का बैन (Burqa Ban) के बाद भारतीय सियासत में भी यह मुद्दा गरमाने लगा है। इसी ओर सबसे पहले यह मुद्दा शिवसेना (Shivsena) द्वार उठाया गया। शिवसेना (Shivsena) ने श्रीलंका में हुए बुर्का बैन के बाद , भारत (India) में भी ऐसी पाबंदी की मांग की है। शिवसेना ने एक संपादकीय के जरिए प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' (Narendra modi) से प्रश्न किया है कि , रावण (Raavan) की लंका में हुआ , राम (Ram) की अयोध्या (Ayodhya) में कब होगा। उन्होनें कहा , श्रीलंका में हुए आतंकी हमले के बाद , वहां की सरकार ने बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में कब स्थाई रूप से प्रतिबंध लगाया जाएगा। उन्होनें यह भी कहा कि , अधिकतर मुस्लिम महिलाएं भी इस बुर्के के खिलाफ होती हैं। हिन्दू सेना (Hindu Sena) के राष्ट्रिय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (Vishnu Gupta) ने भी कहा कि , श्रीलंका में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत में इस तरह के हमलों को रोकने के लिए, कुछ अहम और कारगर नियम बनाने होंगे। उन्होनें मांग की , कि सभी बुर्कों और नकाब सहित पूरा चेहरा ढकने वाली चीजों पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।

दुनिया में ऐसे कई धर्म हैं, जो अपने – अपने पहनावे के कारण जाने जाते हैं। जिनमें से इस्लाम धर्म (Islam Dharma) की बात की जाए तो , मुस्लिम समाज में महिलाएं बुर्का (Burqa) पहनकर रखती हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि, मुस्लिम धर्म ग्रंथ " कुरान शरीफ" (Quran Sharif) में बताया गया है कि , महिलाओं को बुर्का पहनना जरूरी है। कहा गया है कि, अल्लाह का कहना है कि , अपने पति के अलावा किसी भी पराए मर्द को अपना चेहरा नहीं दिखना चाहिए। मुस्लिम महिलाओं को ऐसा लिबास पहनना चाहिए , जिससे उनका चेहरा , पैर और आंख के अतिरिक्त शरीर का अन्य हिस्सा ढका रहे। इसलिए बुर्का (Burqa) पहनना या ना पहनना किसी भी मुस्लिम महिला का व्यक्तिगत मुद्दा है। इस मुद्दे को देश से जोड़ कर , किसी भी पार्टी को इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।

हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष (Secularism) देश है। जहां सभी धर्मों को समान माना गया है। संविधान में ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है जो किसी भी धर्म के नियमों और आस्था को चोट पहुंचता हो। देश का लोकतंत्र उसकी सुरक्षा सर्वोपरी होनी आवश्यक है , लेकिन देश में अलग – अलग धर्मों से जुड़ी जनता और उनके धर्मों से जुड़े नियमों को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए। हमारे देश की असुरक्षा का ज़िम्मेदार एक बुर्का कभी भी नहीं हो सकता। कोई भी नियम जो किसी धर्म के मुद्दे को खड़ा करता हो , उसमें उस धर्म से जुड़े लोगों की राय अवश्य होनी चाहिए। ताकि कोई भी नियम या मुद्दा देश में आंतरिक अशांति का कारण कभी भी ना बन पाए।

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