![LIC के सूचीबद्धता से बढ़ेगी संचालन में पारदर्शिता: Moody's [IANS]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2Fimport%2F2022%2F05%2Fbdc9b1fe9e5e125c2f27876878b64751-1.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
![LIC के सूचीबद्धता से बढ़ेगी संचालन में पारदर्शिता: Moody's [IANS]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2Fimport%2F2022%2F05%2Fbdc9b1fe9e5e125c2f27876878b64751-1.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) का कहना है कि एलआईसी (LIC) के सूचीबद्ध होने से इसके संचालन के तरीके में पारदर्शिता बढ़ेगी और साथ ही जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता देने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा। Moody's के मुताबिक पारदर्शिता बढ़ने से एलआईसी आंतरिक रूप से पूंजी उत्पन्न करने और विकसित करने की अपनी क्षमता बढ़ायेगी।
मूडीज ने कहा, बीमा उद्योग के अनुभव के साथ बाहरी शेयरधारकों के आगमन को हम आईपीओ के एक और महत्वपूर्ण लाभ के रूप में देखते हैं। हमें विश्वास है कि विदेशी निवेशकों की मौजूदगी पूंजी पर्याप्तता और मानकों के क्षेत्र में विशेष लाभ लायेगी। इससे एलआईसी का क्रेडिट प्रोफाइल बढ़ेगा।"
मूडीज का कहना है कि इसके अतिरिक्त परिचालन और वितरण क्षमता पर भी उनका सकारात्मक प्रभाव रहेगा।
रेटिग एजेंसी के मुताबिक एलआईसी भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की सॉल्वेंसी आवश्यकताओं का अनुपालन करती है लेकिन इसकी पूंजी पर्याप्तता वैश्विक जीवनबीमा कंपनियों की तुलना में कमजोर है।
मूडीज ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि आईपीओ के बाद एलआईसी के परिचालन प्रदर्शन और लाभप्रदता में बेहतरी आयेगी, जिससे व्यापक रूप से जीवन बीमा क्षेत्र में परिवर्तन आयेगा।
देश की प्रमुख जीवनबीमा कंपनी के रूप में एलआईसी अक्सर मूल्य निर्धारण और पॉलिसी शर्तों के लिये रुझान निर्धारित करती है। सरकारी बीमा कंपनियों में सुधार को देखते हुये भारत की निजी बीमा कंपनियां पहले से ही विकास अवसरों की संभावना की तैयारी में जुट गई हैं।
मूडीज ने कहा, वित्त वर्ष 2020 में 24 जीवन बीमा कंपनियों में से चार ने पूंजी जुटाई। हम आने वाले दिनों में ऐसे लेनदेन की और संभावना देख रहे हैं। इससे भारतीय बीमा क्षेत्र की पूंजी पर्याप्तता और वित्तीय प्रबंधन में सुधार आयेगा।
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मूडीज ने यह उम्मीद जताई है कि विदेशी बीमा कंपनियां भारत की निजी बीमा कंपनियों में निवेश जारी रखेंगे,जहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा 49 प्रतिशत है जबकि एलआईसी में यह सीमा 20 प्रतिशत ही है।
मूडीज का कहना है कि संयुक्त उद्यमों के माध्यम से भारत में पहले से मौजूद कई वैश्विक कंपनियां स्थानीय संबंद्ध कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं।
आईएएनएस (PS)