भारत से सीखा धर्म योग: बिहार में रह रहे जापानी युवक ने समझाया योग का असली अर्थ

जापान के नोज़ोमु हागिहारा बिहार में रहकर भारत की संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ‘धर्म योग’ का दर्शन समझा। उनके अनुसार, योग सिर्फ शरीर का व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को सही तरीके से जीने की कला है।
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भारत से सीखा धर्म योगजापान के नोज़ोमु हागिहारा बिहार में रहकर भारत की संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ‘धर्म योग’ का दर्शन समझा
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Summary

सार

  • जापानी युवक नोज़ोमु हागिहारा ने भारत में सीखा कि योग केवल आसनों तक सीमित नहीं है।

  • उन्होंने बताया कि ‘धर्म योग’ का मतलब है, दया, सच्चाई, संयम और संतुलन से भरा जीवन।

  • इस विचार ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और भारत की आध्यात्मिक गहराई को दुनिया के सामने रखा।

धर्म योग का मतलब

बिहार (Bihar) में रह रहे जापान (Japan) के युवक नोज़ोमु हागिहारा ने सोशल मीडिया (social media) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत ने उन्हें “धर्म योग (Dharma Yoga)” का असली अर्थ सिखाया। उनके अनुसार, योग सिर्फ शरीर को मोड़ने या सांस लेने का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक दर्शन है।

उन्होंने कहा कि भारत (India) ने उन्हें यह एहसास कराया कि योग का सही मतलब है, अपने विचारों, कर्मों और व्यवहार में अच्छाई लाना। उन्होंने बताया कि “योग मैट पर नहीं, बल्कि हर पल, हर रिश्ते, और हर काम में जिया जाता है।”

धर्म योग

नोज़ोमु का कहना है कि “धर्म योग” हमें यह सिखाता है कि सच्चा योग वही है जो हमारे अंदर की अच्छाई को बाहर लाए। यह सोच हमें दूसरों के प्रति दयालु, ईमानदार और जागरूक बनाती है।

उन्होंने बताया कि जब इंसान अपने कर्मों को सोच-समझकर करता है, किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता, और जीवन में सच्चाई से चलता है, तभी वह धर्म योग का असली अभ्यास करता है।

अहिंसा

नोज़ोमु बताते हैं कि अहिंसा (Non-Violence) सिर्फ किसी को शारीरिक चोट न पहुँचाने का नाम नहीं है, बल्कि अपने शब्दों और व्यवहार से भी दूसरों को आहत न करना उतना ही ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में लोगों ने उन्हें सिखाया कि जब आप किसी को मुस्कुराकर देखते हैं या जरूरतमंद की मदद करते हैं, तो वही असली योग है।

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“धर्म योग” हमें यह सिखाता है कि सच्चा योग वही है जो हमारे अंदर की अच्छाई को बाहर लाएPexels

सत्य

उन्होंने कहा कि भारत ने उन्हें यह समझाया कि सच्चाई केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में दिखती है। अगर हम सच के रास्ते पर चलें, भले ही वह कठिन लगे, तो अंत में वही हमें सुकून देता है। नोज़ोमु मानते हैं कि झूठ से बनी शांति कभी टिक नहीं सकती, लेकिन सच में आत्मा को सुकून मिलता है।

संयम और संतुलन, ऊर्जा का सही उपयोग

नोज़ोमु कहते हैं कि “ब्रह्मचर्य” यानी संयम का मतलब जीवन में किसी चीज़ को दबाना नहीं, बल्कि अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना है। उन्होंने बताया कि जब इंसान अपने विचारों, भावनाओं और काम में संतुलन रखता है, तो वही उसकी सच्ची शक्ति बन जाती है। लोभ से मुक्ति, कम में संतोष ढूंढना ही सच्ची आज़ादी है

अपरिग्रह, यानी लोभ से मुक्त रहना, धर्म योग का एक अहम हिस्सा है। नोज़ोमु बताते हैं कि जरूरत से ज्यादा चीज़ें, भावनाएँ या इच्छाएँ इकट्ठी करना हमें बोझिल बना देता है। जब हम ‘कम में ज्यादा’ का आनंद लेना सीख लेते हैं, तो हम अंदर से मुक्त हो जाते हैं।

विदेशी आंखों से भारत का दर्शन: एक सुंदर संगम

नोज़ोमु हागिहारा की कहानी यह दिखाती है कि भारत की संस्कृति कितनी गहरी और जीवंत है। एक विदेशी व्यक्ति जब भारत आकर इसकी आत्मा को महसूस करता है, तो यह साबित करता है कि भारतीय दर्शन सीमाओं से परे है।

योग केवल भारत का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का है। यह हमें सिखाता है कि दया, सच्चाई और संतुलन जैसे मूल्य दुनिया को जोड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

नोज़ोमु हागिहारा की सीख हमें याद दिलाती है कि योग का असली रूप ‘धर्म योग’ में छिपा है, जहाँ हम हर दिन इंसानियत, सत्य और करुणा के साथ जीते हैं। उन्होंने दिखाया कि योग इस बात से नहीं मापा जाता कि हम कितना झुक सकते हैं, बल्कि इससे कि हम कितने संवेदनशील और दयालु हैं। भारत (India) की यही सोच, सरल जीवन, उच्च विचार, आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित कर रही है।

(BA)

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