गोलगप्पों वाला अफेयर: जब जासूसी में निकला चटपटा ट्विस्ट!

हाल ही के एक इंटरव्यू (Interview) में डिटेक्टिव नमन जैन मुस्कुराते हुए एक किस्सा सुनाते हुए कहते है,“एक दिन एक आदमी मेरे पास आया, और उसने बोला कि सर, मेरी पत्नी रोज़ाना दो से तीन घंटे के लिए घर से गायब रहती है।
A woman is enjoying golgappa (pani puri) at a street food stall, holding a small bowl in one hand and eating.Behind her, a man looks surprised or shocked.
महिला घर से निकलने के बाद दो महिलाओ से मिलती है और फिर वो गोलगप्पे के स्टॉल पर जा कर गोलगप्पा खाती है। Ai
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Summary
  • पति को शक था कि पत्नी का अफेयर है, इसलिए उसने डिटेक्टिव नमन जैन को बताया।

  • जांच में पता चला कि पत्नी रोज़ सहेलियों के साथ गोलगप्पे खाने जाती है।

  • पति ने माना कि वो ऐसा इसलिए करती थी क्योंकि उसे शुगर है, ताकि उसका भी मन न करे गोलगप्पा खाने का।

क्यों था पति को शक कि पत्नी का अफेयर है ?

हाल ही के एक इंटरव्यू (Interview) में डिटेक्टिव नमन जैन (Naman Jain) मुस्कुराते हुए एक किस्सा सुनाते हुए कहते है,“एक दिन एक आदमी मेरे पास आया, और उसने बोला कि सर, मेरी पत्नी रोज़ाना दो से तीन घंटे के लिए घर से गायब रहती है। मुझे शक है कि उसका किसी के साथ अफेयर है!’” वो किसी से फ़ोन पर बात भी नहीं करती बस मिलने जाती है, मैं एक बार ऐसे ही घर से बाहर गया ये देखने की कहीं मेरे घर से बाहर जाने के बाद वो किसी से बात तो नहीं करती।

ये सारी बातें सुन कर अपना डिटेक्टिव मोड ऑन (Detective Mode On) करते हुए नमन जैन लग गए इस केस के पीछे। जब लगातार उस महिला का पीछा किया तो मालूम हुआ कि वह महिला घर से निकलने के बाद दो महिलाओ से मिलती है और फिर वो गोलगप्पे के स्टॉल पर जा कर गोलगप्पा खाती है।

जब ये सारी बातें महिला के पति को मालूम हुआ तो उसे थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुयी और बोला कि सर मुझे मालूम है वो मेरे से छुपा कर गोलगप्पे क्यों खाती है, क्योकि मुझे शुगर है और वो मेरे सामने खाएगी तो मुझे भी गोलगप्पे (Golgappas) खाने का मन करेगा।

यह किस्सा सुनाते हुए नमन जैन मुस्कुराकर आगे बोलते है कि “कभी-कभी अफेयर किसी इंसान से नहीं, बल्कि गोलगप्पों से भी हो सकता है!”

अक्सर आपने यह सुना होगा कि शादी के बाद विश्वास सबसे बड़ी चीज़ होती है, लेकिन जब शक़ का बीज दिल में उग जाए, तो मामला सीधा दिल से दिमाग तक पहुँच जाता है। और हम चीज़ो को कुछ ज़्यादा ही अलग ढंग से सोच लेते है जो की हक़ीक़त में सच कुछ और ही होता है।

क्या रहा एक डिटेक्टिव का रोले ?

इस स्टोरी में एक डिटेक्टिव के ज़रिये हमे किसी की निजी ज़िन्दगी के बारे में मालूम हुआ, इसमें महिला के पति ने अपने वैवाहिक जीवन की ऐसी संवेदनशील घटनाओ के बारे में एक डिटेक्टिव से शेयर किया, तो क्या हम ये कह सकते कि ऐसे डिटेक्टिव्स (Detectives) पर हम इस हद तक विस्वास कर सकते है? क्योकि एक डिटेक्टिव का काम सिर्फ सच सामने लाना नहीं होता, बल्कि इंसानी भावनाओं को समझना भी होता है।

लोग जब अपने निजी जीवन के राज़ किसी अजनबी को बताते हैं, तो उसमें भरोसे की बड़ी भूमिका होती है। तो इन बातो पर गौर करते हुए आप यह ज़रूर सोचे की क्या हमे ऐसी घटनाओ को एक डिटेक्टिव से शेयर करके उसे सुलझाना चाहिए या आप खुद ही ऐसी चीज़ो को पहले पता करने की कोशिस करे कि आखिर बात क्या है?

इस केस ने यही सिखाया कि हर शक़ का मतलब बेवफाई नहीं होता। कभी-कभी सच्चाई बस एक पानीपुरी के ठेले तक भी सीमित हो सकती है!

[Rh/SS]

A woman is enjoying golgappa (pani puri) at a street food stall, holding a small bowl in one hand and eating.Behind her, a man looks surprised or shocked.
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