
एक पतली पाइप जैसी दिखने वाली ट्यूब (Tube), अपेंडिक्स (Appendix) की लंबाई 2 से 3 इंच की होती है। इसका काम आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया (Bacteria) को बचाकर रखना है और पेट की पाचन (Digestion) शक्ति को बढ़ाना भी है।
जब हमारे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाती है, तो ट्यूब में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया ही पाचन प्रणाली (Digestive System) को सही तरीके से चलाने में मदद करते हैं, लेकिन कई बार संक्रमण (Infection) की वजह से अपेंडिक्स में सूजन (Swelling) आ जाती है। सूजन की स्थिति में पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार (Fever) आना और उल्टी (Vomit) की शिकायत होने लगती है।
कई बार स्थिति ज्यादा खराब होने पर ये अंग (Organ) अंदर ही फट (Burst) जाता है और पेट में जहर फैलने का खतरा रहता है। तेज दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, लेकिन ऐसी बीमारी से बचने के लिए और हल्के दर्द की स्थिति में आयुर्वेदिक नुस्खों (Ayurvedic Remedies) का सहारा लिया जा सकता है।
आयुर्वेद (Ayurved) में इस रोग (Disease) को वात और पित्त की वृद्धि के तौर पर देखा गया। जब दोनों में असंतुलन (Imbalance) हो जाता है तो अपेंडिक्स परेशानी का सबब बन जाता है। अगर दर्द शुरुआती है तो आयुर्वेद की मदद ले सकते हैं।
इसके लिए त्रिफला का चूर्ण फायदेमंद होता है। त्रिफला का चूर्ण कई चीजों में काम आता है। अगर दर्द से राहत पाना है तो गर्म पानी के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से फायदा होगा।
कच्चे केले का सेवन करने से अपेंडिक्स से जुड़ी परेशानी में राहत मिलती है। कच्चे केले से पाचन (Digestion) सही तरीके से होता है, जिससे अपेंडिक्स पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा अरंडी (Castor) के तेल से भी फायदा होगा। रात को सोने से पहले दूध के साथ अरंडी(Castor Oil) के तेल का सेवन करने से सूजन में राहत मिलती है। तेल में रिसिनोलिक एसिड (Ricinoleic Acid) होता है, जो सूजन रोधी होता है। ये सिर्फ अपेंडिक्स में होने वाली सूजन नहीं, बल्कि शरीर (Body) के किसी भी हिस्से में होने वाली सूजन से बचाता है।
हल्का और प्रोटीनयुक्त (Protein Rich) भोजन भी अपेंडिक्स के होने वाली दिक्कतों को कम करता है। जितना हल्का खाना होगा, पचाने में उतनी ही आसानी होगी और अपेंडिक्स पर दवाब नहीं पड़ेगा। इसके अलावा नियमित योग, टहलने और अच्छी जीवनशैली अपनाने से भी इसमें राहत मिलेगी।
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