योग के बल पर Mahant Avaidyanath ने दी काल को मात

ब्रह्मलीन होने की कगार पर भी योग साधना के बल पर काल से खेली लुका छुपी।
अवेद्यनाथ (Mahant Avaidyanath) ने दी काल को मात
अवेद्यनाथ (Mahant Avaidyanath) ने दी काल को मातIANS
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योग साधना केंद्र के लिए विख्यात गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवेद्यनाथ (Mahant Avaidyanath) काल को मात देते रहे। कई बार ऐसा लगा कि वह ब्रह्मलीन हो जाएंगे, लेकिन वह योग साधना के बल पर काल से लुका-छिपी खेलते रहे। हर साल की तरह इस साल भी गोरखनाथ मंदिर (गोरखपुर) में मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पूज्य दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विनाथ एवं पूज्य गुरुदेव अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह का साप्ताहिक आयोजन चल रहा है। इस क्रम में 14 सितंबर को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में श्रद्धाजंलि समारोह का आयोजन होगा। इस अवसर पर राष्ट्र संत ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ के बारे में कुछ संस्मरण।

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विज्ञान के इस युग में ऐसा भी संभव है। आप यकीन करें या न करें, पर यह बात मुकम्मल सच है। आठ साल पहले (12 सितंबर 2014) गोरक्षपीठ के महंत अवेद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना थी।

गोरक्षपीठ में काफी समय गुजारने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि चिकित्सकों के मुताबिक उनकी मौत तो 2001 में तभी हो जानी चाहिए थी, जब वे पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित थे। उम्र और आपरेशन के बाद ऐसे मामलों में लोगों के बचने की संभावना सिर्फ 5 फीसद होती है। इसी का हवाला देकर उस समय दिल्ली के एक नामी डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। बाद में के लिए ऑपरेशन तैयार हुए तो यह भी कहा कि ऑपरेशन सफल भी रहा तो भी बची जिंदगी मुश्किल से तीन वर्ष की और होगी। पर बड़े महराज जी उसके बाद 14 वर्ष तक जीवित रहे। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर अक्सर पीठ के तबके उत्तराधिकारी (अब पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ से फोन पर बड़े महाराज का हाल-चाल पूछते थे। यह बताने पर की उनका स्वास्थ्य बेहतर है, हैरत भी जताते थे। बकौल योगी यह गुरुदेव के योग का ही चमत्कार था।

उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा अपने गुरुदेव (ब्रह्मलीन महंत दिग्विनाथ) के पुण्यतिथि पर गोरक्षनाथ मंदिर में ही ब्रह्मलीन होने की थी। वही हुआ भी। इस अवसर पर गोरक्षनाथ मन्दिर में हर साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का आयोजन होता है। 2014 में इसी कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद उसी दिन फ्लाइट से योगी आदित्यनाथ शाम को दिल्ली और फिर गुड़गांव स्थित मेदांता में भर्ती अपने गुरुदेव का हाल चाल लेने गए। वहां उनके कान में पुण्यतिथि के कार्यक्रम के समापन के बाबत जानकारी दी। कुछ देर वहां रहे भी। चिकित्सकों से बात की। सेहत रोज जैसी ही स्थिर थी। लिहाजा योगीजी अपने दिल्ली स्थित आवास पर लौट आए। रात करीब 10 बजे उनके पास मेदांता से फोन आया कि उनके गुरु की सेहत बिगड़ गई है।

योगी आदित्यनाथ मेदांता पहुंचे तो देखा, वेंटीलेटर में जीवन के कोई लक्षण नहीं थे। चिकित्सकों के कहने के बावजूद योगी आदित्यनाथ मानने को तैयार नहीं थे। वहीं महामृत्युंजय का जाप शुरू किया। करीब आधे घंटे बाद वेंटीलेटर पर जीवन के लक्षण लौट आए। योगी को अहसास हो गया कि गुरुदेव की विदाई का समय आ गया है। उन्होंने धीरे से उनके कान में कहा कि कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा। यह सुनकर उनकी आंखों के कोर पर आंसू ढलक आए। योगीजी ने उसे साफ किया और लाने की तैयारी में लग गए।

योगी आदित्यनाथ दूसरे दिन एयर एंबुलेंस से अपने पूज्य गुरुदेव को गोरखपुर लाने के बाद उनके कान में कहा, आप गोरखनाथ मंदिर में आ चुके हैं। बड़े महाराज के चेहरे पर तसल्ली का भाव आया। इसके करीब घंटे भर के भीतर उनका शरीर शांत हो गया।

(आईएएनएस/PT)

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