नारियल पानी : मरीजों के लिए अमृत या सिर्फ पेय? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

नई दिल्ली, नारियल पानी प्रकृति का ऐसा उपहार है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना गया है। हरे नारियल के अंदर मिलने वाला यह मीठा और पारदर्शी तरल न केवल स्वादिष्ट और ताजगी देने वाला होता है, बल्कि सेहत का खजाना भी है। यह पूरी तरह प्राकृतिक, हल्का और कम कैलोरी वाला पेय है, जिसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम जैसे जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं।
नारियल पानी प्रकृति का ऐसा उपहार है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना गया है।
नारियल पानी प्रकृति का ऐसा उपहार है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना गया है।IANS
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यही कारण है कि इसे मरीजों के लिए अमृत समान बताया जाता है। जब बुखार, उल्टी या दस्त जैसी समस्या होती है, तो शरीर में पानी और खनिजों की कमी हो जाती है। ऐसे समय में नारियल पानी तुरंत शरीर को ऊर्जा देता है और डिहाइड्रेशन को दूर करता है। यह पाचन को दुरुस्त करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है।

किडनी (Kidney) की बीमारियों में नारियल पानी बेहद उपयोगी माना गया है, क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम और पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह शरीर को डिटॉक्स करने और मूत्र के जरिए विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

डायबिटीज के मरीज भी इसे सुरक्षित रूप से पी सकते हैं क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है और यह अचानक ब्लड शुगर नहीं बढ़ाता।

हृदय रोगियों के लिए भी नारियल पानी लाभकारी है, क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) मुक्त है और दिल की धड़कन को संतुलित रखता है। इसमें मौजूद पोटैशियम हाई बीपी को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यही नहीं, यह लीवर को भी साफ करता है और ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।

जिन्हें एसिडिटी, गैस या जलन की शिकायत रहती है, उनके लिए नारियल पानी राहतदायक है। यह पेट को ठंडक देकर अम्लपित्त को संतुलित करता है। त्वचा संबंधी रोगों में भी इसका असर दिखता है। मुंहासे, रैशेज या खुजली की समस्या में नारियल पानी पीने और त्वचा पर लगाने दोनों से लाभ मिलता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। यही कारण है कि इसे नेचुरल डिटॉक्स वॉटर भी कहा जाता है।

रोजाना 1 से 2 नारियल पानी पीना पर्याप्त है। सुबह खाली पेट इसका सेवन सबसे फायदेमंद होता है, जबकि बुखार या उल्टी-दस्त में हर 3-4 घंटे में लेना बेहतर रहता है। एक्सरसाइज के बाद इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने के लिए भी यह आदर्श विकल्प है।

हालांकि, किडनी में पोटैशियम की अधिकता वाले मरीजों को इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए और जिनका ब्लड शुगर बहुत असंतुलित है, उन्हें डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।

[SS]

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