झारखंड के पांच जिलों में कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ सरकार ने शुरू किया 'समर' अभियान

इसके तहत डोर टू डोर सर्वे कर कुपोषित एवं एनीमिया से पीड़ित महिलाओं-बच्चों को चिन्हित कर उन्हें उचित पोषण एवं उपचार उपलब्ध कराया जायेगा।
सांकेतिक चित्र।
सांकेतिक चित्र।IANS
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झारखंड के पांच जिलों लातेहार, पश्चिम सिंहभूम, चतरा, सिमडेगा और साहिबगंज में कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ राज्य सरकार ने 'समर' नामक एक हजार दिनों का विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत डोर टू डोर सर्वे कर कुपोषित एवं एनीमिया से पीड़ित महिलाओं-बच्चों को चिन्हित कर उन्हें उचित पोषण एवं उपचार उपलब्ध कराया जायेगा। अभियान के बाद कुपोषण मुक्त होने वाली पंचायतों को एक-एक लाख रुपये दिये जायेंगे। कुपोषण और एनीमिया झारखंड की गंभीर समस्या है।

करीब दो माह पहले एनएफएचएस (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे)-5 के नतीजों के मुताबिक झारखंड में छह महीने से लेकर 59 महीने (यानी पांच वर्ष से कम) तक की आयु वर्ग के 67 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। इसी तरह राज्य की 65.3 प्रतिशत महिलाएं और 30 प्रतिशत पुरुष भी खून की कमी वाली इस बीमारी की चपेट में हैं।

आंकड़े के मुताबिक राज्य में 38 प्रतिशत महिलाएं और 32 प्रतिशत पुरुष बॉडी मास इंडेक्स के हिसाब से या तो अत्यंत दुबले हैं या अत्यधिक वजन वाले हैं। इसी तरह पांच साल से कम उम्र के 40 प्रतिशत बच्चे या तो कुपोषित हैं या अपनी उम्र के हिसाब से बेहद ठिगने (कम ऊंचाई वाले) हैं। इसी तरह 22 प्रतिशत बच्चे अपने कद के हिसाब से बेहद पतले हैं। राज्य के पांच वर्ष से कम आयु के 45 फीसदी बच्चों में ठिगनापन पाया गया, जबकि 43 फीसदे बच्चों में विटामिन ए की कमी पायी गयी।

झारखंड के ग्रामीण विकास सचिव डॉक्टर मनीष रंजन ने बताया कि समर यानीस्ट्रैटेजिक एक्शन फॉर एलिवेशन ऑफ मॉल न्यूट्रिशन एंड एनीमिया रिडक्शन की पिछले महीने हुई लांचिंग के बाद उसे धरातल पर उतारने में मनरेगा, जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) के कर्मियों और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के विशेष दल बनाये गये हैं। लातेहार, पश्चिम सिंहभूम, चतरा, सिमडेगा और साहिबगंज जिले में सबसे पहले सर्वे किया जायेगा। इसके बाद चिह्न्ति महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य सूचकांक की लगातार मॉनिटरिंग की जायेगी। जो बच्चा अत्यंत कुपोषित पाया जायेगा, उसे तत्कालउपचार केंद्रों में पहुंचाया जायेगा। कुपोषण और एनीमिया पीड़ित महिलाओं-बच्चों के ब्योरे एक ऐप में डाले जायेंगे।

इस अभियान में हर पंचायत को एक इकाई के रूप में माना जाएगा। पोषण संबंधी सूचकांक के लिए आठ-दस पैरामीटर तय किये गये हैं। आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका, पोषण सखी, स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, जल सहिया के सहयोग से पोषण सभाएं आयोजित की जाएंगी। उचित पोषण के लिए उग-सब्जी, चावल,गेहूं, दाल, अंडा, फल आदि के उपयोग के लिए प्रेरित किया जायेगा। पंचायत सचिवालय हर गांव की पोषाहार स्थिति पर कलर कोडेड बोर्ड लगाएगा। बाद में सोशल ऑडिट कराया जाएगा जिसके आधार पर पंचायत को कुपोषण मुक्त पंचायत का टैग दिया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक पंचायत को एक लाख रुपये दिए जाने का प्रावधान है।

(आईएएनएस/JS)

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