आईआईटी गुवाहाटी द्वारा विभिन्न फ्रैक्चर-उपचार व हड्डी की मरम्मत के लिए एआई आधारित मॉडल विकसित

शोधकतार्ओं ने सर्जरी के बाद जांघ की हड्डी के फ्रैक्चर के उपचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है।
आईआईटी गुवाहाटी
आईआईटी गुवाहाटीIANS

आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) विभिन्न फ्रैक्चर-उपचार व हड्डी की मरम्मत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) आधारित मॉडल विकसित किया है। एआई-आधारित सिमुलेशन मॉडल संभावित रूप से एक सर्जन को फ्रैक्चर-उपचार सर्जरी से पहले सही इम्प्लांट या तकनीक चुनने में मदद कर सकता है। शोधकतार्ओं (researchers) ने सर्जरी के बाद जांघ की हड्डी के फ्रैक्चर के उपचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है।

आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया शोध उपयोगी है क्योंकि दुनिया में जांघ की हड्डी और कूल्हे के फ्रैक्चर की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। अकेले भारत (India) में हर साल अनुमानित 2 लाख हिप फ्रैक्चर होते हैं, जिनमें से अधिकांश को अस्पताल में भर्ती होने और ट्रॉमा केयर की आवश्यकता होती है। कूल्हे के फ्रैक्चर के उपचार में पारंपरिक रूप से हड्डी की प्लेट और रॉड शामिल हैं जो फ्रैक्च र साइट को पाटने और हड्डी के उपचार के लिए हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)Wikipedia

यह मॉडल पशु चिकित्सा फ्रैक्चर के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने एल्गोरिदम (algorithm) के आधार पर एक सॉफ्टवेयर (software), ऐप (app) विकसित करने की योजना बनाई है, जिसका उपयोग अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में उनके फ्रैक्चर उपचार प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में किया जा सकता है। टीम वर्तमान में बोरगोहेन और हड्डी रोग विशेषज्ञों की उनकी टीम के साथ सहयोग कर रही है।

आईआईटी गुवाहाटी में बायोसाइंसेज (Bioscience) और बायोइंजीनियरिंग (Bioengineering) विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सौप्तिक चंदा और उनकी टीम द्वारा विकसित यह मॉडल विभिन्न फ्रैक्चर के उपचार परिणामों का आकलन करने के लिए किया जा सकता है। इस तरह के सटीक मॉडल का उपयोग उपचार के समय को कम कर सकता है। साथ ही, उन रोगियों के लिए आर्थिक बोझ और दर्द को हल्का कर सकता है जिन्हें जांघ के फ्रैक्चर के उपचार की आवश्यकता होती है।

इस शोध के परिणाम हाल ही में ओपन सोर्स जर्नल, पीएलओएस वन में डॉ. सौप्तिक चंदा और उनके शोध विद्वान प्रतीक नाग के सह-लेखक में प्रकाशित हुए हैं। शोध के बारे में बोलते हुए, डॉ. सौप्तिक चंदा ने कहा, जब जटिल जैविक घटनाओं को समझने और भविष्यवाणी करने की बात आती है तो एआई (AI) में जबरदस्त क्षमता होती है। इसलिए, स्वास्थ्य विज्ञान में यह एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। शोध दल ने विभिन्न उपचार विधियों के बाद फ्रैक्चर की उपचार प्रक्रिया को समझने के लिए परिमित तत्व विश्लेषण और एआई टूल का उपयोग किया है। इस उद्देश्य के लिए नियम-आधारित सिमुलेशन योजना के साथ-साथ विभिन्न अस्थि-विकास मापदंडों का उपयोग किया गया था।

आईआईटी गुवाहाटी
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फ्रैक्चर उपचार विधियों को सर्जनों द्वारा उनके अनुभव के आधार पर सहजता से चुना जाता है, और चुने गए उपचार पद्धति की प्रभावकारिता और सफलता की भविष्यवाणी करने का कोई तरीका नहीं है। आईआईटी गुवाहाटी के शोध से आथोर्पेडिक्स में निर्णय लेने में सटीकता दर बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे फ्रैक्चर रिकवरी से जुड़ी लागत और बीमारी का बोझ कम होगा। आईआईटी गुवाहाटी चिकित्सा प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में उत्तरोत्तर कार्य कर रहा है। संस्थान में हाल ही में सुपर कंप्यूटर सुविधा परम कामरूप की स्थापना के साथ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस (data science), और डीप लर्निंग (deep learning), और अन्य के बीच, और स्वास्थ्य विज्ञान, मौसम की भविष्यवाणी और नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में भी बड़ा बढ़ावा मिला है।

आईएएनएस/RS

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