पेट के लिए ही नहीं, इम्यूनिटी बूस्टर भी है 'पंचकोल', आयुर्वेद में लिखे हैं अनगिनत फायदे

नई दिल्ली, आज की जीवनशैली इतनी जटिल है कि घंटों एक ही जगह बैठकर काम करना पड़ता है। शारीरिक क्रिया कम हो गई है, जिससे पेट से जुड़े विकार छोटी उम्र से ही परेशान करने लगते हैं।
आज की जीवनशैली इतनी जटिल है कि घंटों एक ही जगह बैठकर काम करना पड़ता है।
आज की जीवनशैली इतनी जटिल है कि घंटों एक ही जगह बैठकर काम करना पड़ता है। IANS
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ज्यादा समय तक बैठना, खाने के बाद सो जाना या शारीरिक क्रिया की कमी से एसिडिटी, पेट का फूलना, बवासीर, लिवर में सूजन या पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां परेशान कर सकती हैं। ऐसे में आयुर्वेद में पेट से जुड़ी इन सभी बीमारियों का पक्का इलाज पंचकोल है। पंचकोल में पांच जड़ी-बूटियों का संग्रह है। इसमें पिप्पली की जड़, चाव, पिप्पली, चित्रक और नागरमोथा होते हैं। इन पांचों जड़ी-बूटियों में पेट से जुड़ी समस्याओं से लड़ने की शक्ति होती है।

पंचकोल को आयुर्वेद में विशेष स्थान मिला है, क्योंकि यह पेट के रोगों का नाश करता है और पेट से ही हर रोग की उत्पत्ति होती है। रोगों के अनुसार आयुर्वेद में पंचकोल को लेने के तरीके भी बताए गए हैं।

पंचकोल (Panchakol) के सेवन से भूख बढ़ने लगती है, पेट में दर्द की समस्या से निजात मिलती है और पेट की जठराग्नि भी तेज हो जाती है, जिससे खाना अच्छे से पचने लगता है। पेट से जुड़ी समस्या से राहत के लिए पंचकोल का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लिया जा सकता है।

इसके अलावा, पंचकोल से श्वसन संबंधी रोगों में भी आराम मिलता है। दमा और सांस लेने की समस्या में पंचकोल का सेवन किया जा सकता है। सेवन के लिए पंचकोल का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।

सर्दी लगने या खांसी-जुकाम (Cough and Cold) में भी पंचकोल कारगर है। इन सभी जड़ी-बूटियों की तासीर गर्म होती है और इसका सेवन करने से कफ से राहत मिलती है। खांसी के लिए पंचकोल को शहद के साथ ले सकते हैं। इससे कफ में राहत मिलती है और सांस लेने में आसानी होती है।

पंचकोल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है और मौसम बदलने के वक्त होने वाले संक्रमण से बचाता है।

[SS]

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