
आज के समय में खूबसूरत दिखने की चाहत और काम उम्र वाली ब्यूटी का सपना युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहां बोटॉक्स या एंटी-रिंकल इंजेक्शन (Anti-wrinkle injections) को केवल अमीरों और मशहूर हस्तियों की चीज़ माना जाता था, आज के समय में वहीं यह एक सामान्य चलन बन चुका है। 20 से 30 साल की उम्र के बीच के युवा बड़ी संख्या में इन ट्रीटमेंट्स का सहारा ले रहे हैं। सवाल यह है कि क्या बोटॉक्स (Botox) सच में झुर्रियों (wrinkles) से बचाने का उपाय है या यह केवल असुरक्षाओं पर पल रही एक महंगी इंडस्ट्री है ? आइए इस पूरे विषय को विस्तार से समझते हैं।
युवाओं में बोटॉक्स का तेजी से बढ़ता चलन
अमेरिका की सिडनी ब्राउन की कहानी इस चलन को बखूबी समझाती है। जब उनकी मां ने वीडियो कॉल पर बेटी के माथे पर हल्की-सी झुर्री देखी, तो उन्होंने तुरंत एंटी-रिंकल इंजेक्शन (Anti-wrinkle injections) लेने की सलाह दी। उस समय सिडनी सिर्फ 23 साल की थीं। आज 25 की उम्र में वह बोटॉक्स (Botox) और लिप फिलर दोनों करवा चुकी हैं और खुद को बेहद आत्मविश्वासी महसूस करती हैं। सिडनी की मां खुद प्लास्टिक सर्जन हैं और वह मानती हैं कि इस तरह के ट्रीटमेंट से भविष्य में गहरी झुर्रियों (wrinkles) से बचा जा सकता है और बड़े ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती। इस प्रक्रिया को "प्रिवेंटिव बोटॉक्स" कहा जाता है, यानी इस ट्रीटमेंट से झुर्रियां आने से पहले ही उन्हें रोकने की कोशिश की जाती है।
पहले झुर्रियां रोकने के उपाय केवल फिल्मी सितारों या बड़े बिजनेस वर्ग तक सीमित था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। ब्रिटेन में हर साल लगभग 9 लाख बोटॉक्स इंजेक्शन लगाए जाते हैं। दुनिया भर में 18 से 34 साल के युवाओं की संख्या इसमें लगातार बढ़ रही है। अनुमान है कि कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट लेने वालों में लगभग 25% इसी आयु वर्ग से आते हैं। मैनचेस्टर में रहने वाले 26 वर्षीय वेन ग्रेसू दो साल से नियमित रूप से बोटॉक्स ले रहे हैं। वो कहते हैं कि यह उनके आत्मविश्वास और नौकरी दोनों के लिए मददगार है। वो इसे "अपने आत्मविश्वास में किया गया निवेश" मानते हैं मतलब उनका मानना है की अगर इस ट्रीटमेंट से आत्मविश्वास बढ़ता है तो यह ट्रीटमेंट बहुत जरुरी है।
बोटॉक्स (Botox) वास्तव में बोटुलिनम टॉक्सिन है, जिसे चेहरे की उन मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जाता है, जो बार-बार सिकुड़ने से झुर्रियां (wrinkles) पैदा करती हैं। जब इन मांसपेशियों को अस्थायी रूप से ढीला कर दिया जाता है, तो चेहरे पर कम सिलवटें पड़ती हैं और झुर्रियां गहरी होने से बच जाती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह बुढ़ापे को पूरी तरह से रोक नहीं सकता, लेकिन उसकी गति को धीमा जरूर कर देता है। यही कारण है कि आज बहुत से युवा इसे भविष्य में झुर्रियां रोकने के लिए अपनाने लगे हैं।
हर कोई इस चलन से सहमत नहीं है। ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स की अध्यक्ष नोरा न्यूजेंट का कहना है कि 20 साल की उम्र में बोटॉक्स लेना ज़रूरी नहीं है। उनके अनुसार "जो चीज़ अभी आई ही नहीं, उसका इलाज नहीं किया जा सकता।" यानी बहुत कम उम्र में बोटॉक्स लेना पैसे की बर्बादी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सही समय तब है जब चेहरे पर हल्की रेखाएं या झुर्रियां दिखनी शुरू हो जाएं। तभी यह प्रक्रिया अधिक कारगर साबित होती है।
कई बार युवा बोटॉक्स अपनी इच्छा से नहीं बल्कि समाज या दोस्तों के दबाव में आ कर यह ट्रीटमेंट करवाते हैं। सोशल मीडिया पर "फिल्टर वाले चेहरे" देखकर उनमें यह सोच बैठ जाती है कि हमेशा परफेक्ट दिखना ज़रूरी है। थेरेपिस्ट जेन टोमी चेतावनी देती हैं कि किशोरावस्था में बोटॉक्स और फिलर्स का ट्रेंड खतरनाक है। इससे युवाओं की मानसिक सेहत पर असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि बच्चों को अपनी असली खूबियों पर ध्यान देना चाहिए, न कि सिर्फ झुर्रियों और चेहरे पर।
बोटॉक्स के फायदे क्या हैं ?
कई लोगों का कहना है कि झुर्रियां कम होने से वो अपने अंदर ज़्यादा आत्मविश्वास महसूस करते हैं। उनका मानना है की बोटॉक्स करवाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। कुछ लोगों का मानना है की अगर शुरुआती स्तर पर झुर्रियों (wrinkles) को रोक दिया जाय तो आगे चलकर गहरी झुर्रियां हटाने के लिए बड़े ऑपरेशन की ज़रूरत कम हो सकती है। बोटॉक्स का असर कुछ ही दिनों में दिखने लगता है और चेहरे पर ताजगी नज़र आने लगती है। कुछ लोगों को लगता है कि इससे नौकरी और करियर में मदद मिलती है और प्रोफेशनल जीवन में जवान और तरोताज़ा दिखना उन्हें फायदा पहुंचाता है।
बोटॉक्स के नुकसान क्या हो सकते हैं ?
बोटॉक्स (Botox) का असर केवल 3-6 महीने तक रहता है। यानी इसको बार-बार करवाना पड़ता है। लंबे समय तक यह ट्रीटमेंट लेना बेहद महंगा साबित हो सकता है। अगर अनप्रोफेशनल व्यक्ति से बोटॉक्स करवाया जाए तो चेहरे पर असमानता, हावभाव में बदलाव और मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे चेहरा खराब होने का खतरा बढ़ सकता है। कम उम्र से बोटॉक्स लेने पर शरीर इसका असर धीरे-धीरे कम महसूस करने लगता है। नतीजा यह कि बार-बार और ज्यादा मात्रा में इंजेक्शन की ज़रूरत पड़ती है। परफेक्ट दिखने की चाह युवाओं में असुरक्षा और तनाव बढ़ा सकती है।
अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि स्किन को हेल्दी रखने का सबसे सुरक्षित तरीका है, रोजाना सनस्क्रीन लगाना, त्वचा की साफ-सफाई करना, मॉइश्चराइजिंग करना, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करना। ये उपाय न केवल सस्ते हैं बल्कि लंबे समय तक कारगर भी रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति बोटॉक्स करवाना ही चाहता है, तो ज़रूरी है कि वह किसी योग्य, मेडिकल बैकग्राउंड वाले और मान्यता प्राप्त प्रैक्टिशनर से ही ट्रीटमेंट करवाए।
सुंदर दिखने की चाहत हर किसी में होती है। बोटॉक्स जैसे ट्रीटमेंट्स से लोग आत्मविश्वास और संतोष महसूस कर सकते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया को केवल ट्रेंड या दबाव के तहत अपनाना खतरनाक साबित हो सकता है। युवाओं के लिए ज़रूरी है कि वो समझें सुंदरता केवल झुर्रियों (wrinkles) से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, जीवनशैली और सकारात्मक सोच से भी आती है। बोटॉक्स एक विकल्प हो सकता है, लेकिन इसे अपनाने से पहले फायदे और नुकसानों को अच्छे से समझना और विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद ज़रूरी है।
इस तरह बोटॉक्स (Botox) युवाओं को अस्थायी आत्मविश्वास तो देता है, लेकिन साथ ही इससे खतरा भी है। सही फैसला वही होगा जो दबाव में नहीं, बल्कि सोच-समझकर और सही कारणों से लिया जाएगा। [Rh/PS]