

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय कुछ बेहतरीन ऐसे आसनों को करने की सलाह देता है, जिसके रोजाना सिर्फ 10-15 मिनट के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत, लचीली और स्वस्थ रहती है। ये हैं भुजंगासन (Bhujangasana), मार्जरी आसन (Marjari Asana), सेतु बंधासन (Bandhasana) और पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)।
मंत्रालय इन चारों आसनों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ उससे मिलने वाले लाभ के बारे में भी जानकारी देता है। भुजंगासन में पेट के बल लेटकर दोनों हाथ कंधों के पास रखें और सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं। सिर पीछे की ओर झुकाएं। इससे रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है और वह लचीली बनती है। यह कमर दर्द (Back Pain), स्लिप डिस्क और कंधों की जकड़न में राहत देता है। साथ ही पेट की चर्बी भी कम करता है और फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
मार्जरी आसन (Marjari Asana): चौपाए की स्थिति में आएं। सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर की ओर गोल करें (बिल्ली की तरह) और सांस लेते हुए पीठ को नीचे झुकाएं, यह आसन रीढ़ की हर कड़ी को एक साथ मूवमेंट देता है, जिससे जकड़न दूर होती है और ब्लड सर्कुलेशन (Blood Circulation) बेहतर होता है। तनाव, चिड़चिड़ापन और पीठ के ऊपरी हिस्से के दर्द में यह राहत देता है।
सेतु बंधासन में पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ें, पैर जमीन पर रखें और सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं। इससे कमर के निचले हिस्से को मजबूती मिलती है। यह आसन ग्लूट्स, जांघों और पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। थायरॉइड, अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी फायदा पहुंचाता है।
पश्चिमोत्तानासन में पैर सीधे करके बैठें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें। यह रीढ़ की पूरी लंबाई को स्ट्रेच करता है और उसे लचीला बनाता है। पाचन तंत्र (Digestive System) मजबूत होता है, पेट की चर्बी घटती है और दिमाग को शांति मिलती है।
गर्भवती महिलाओं और रीढ़ की गंभीर समस्या वाले लोगों को योग प्रशिक्षक की सलाह के बाद ही अभ्यास करना चाहिए।
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