

आयुर्वेद (Ayurveda) में नींद को त्रयोपस्थंभ में शामिल किया गया है, जिसका अर्थ है जीवन को स्थिर रखने वाले मुख्य तीन स्तंभ। इसमें आहार, नींद और ब्रह्मचर्य आते हैं। अगर ये तीनों संतुलित रहते हैं, तब जाकर जीवन बीमारियों से दूर और संतुलन के साथ चलता है। अच्छी नींद पाने के लिए रात के समय कुछ खास नियमों का पालन करना होता है, जो तन और मन दोनों के लिए लाभकारी होते हैं। पहले जानते हैं कि गहरी और अच्छी नींद न आने के कौन से कारण हो सकते हैं।
आयुर्वेद (Ayurveda) में माना गया है कि जब शरीर में वात दोष का असंतुलन होता है तो नींद आने में परेशानी होती है। इसकी वजह से मस्तिष्क पर अनचाहा तनाव बना रहता है जिससे नींद बाधित होती है। इसके अलाव कई बार ऐसा होता है कि रात के समय अचानक मस्तिष्क एक्टिव हो जाता है और दूर-दूर तक नींद नहीं आती। ये शरीर में हॉर्मोन (Hormones) के असंतुलन की वजह से होता है। इसके साथ ही तनाव लेने और असमय खाना खाने की वजह से भी नींद में परेशानी होती है।
शीत ऋतु में नींद का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी होता है, क्योंकि इस मौसम में शरीर में वात और कफ दोष बढ़ता है। ऐसे में रात के समय जल्दी और हल्का खाना खाएं। रात के भोजन में खिचड़ी और सूप लें। रात के समय दूध में अश्वगंधा (Ashwagandha) या जायफल, जटामांसी, शंखपुष्णी और ब्रह्मी को मिलाकर लें। ये मस्तिष्क के तनाव को कम करते हैं और नींद लाने में सहायक होते हैं। रात के समय फलों का सेवन और ज्यादा तला और भूना खाना से परहेज करें।
शरीर को नींद के लिए तैयार करना भी महत्वपूर्ण कदम है। बिस्तर पर जाने से पहले मानसिक तनाव (Mental Stress) को अलग कर दें। गर्म पानी से हाथ-मुंह धोएं, गुनगुने तेल से तलवों की मालिश करें और चाहें तो गर्दन और कंधों की मालिश भी कर सकते हैं। ये मस्तिष्क की नसों को आराम देगा।
इसके अलावा रात के समय फोन चलाने से बचें। सोने से पहले अपने कमरे में चंदन या लैवेंडर की सुगंधित मोमबत्ती का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सुगंधित मोमबत्तियां मस्तिष्क (Brain) को शांति देती हैं।
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