
1 अक्टूबर से लागू होने वाला ट्रंप (Trump) का 100 प्रतिशत टैरिफ(Tariff) ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाइयों के आयात पर है। यह टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर लागू नहीं होगा।
इकोनॉमिस्ट आकाश जिंदल (Akash Jindal) ने आईएएनएस से कहा, "फार्मास्यूटिकल्स (Pharma) पर लगाया गया 100 प्रतिशत टैरिफ अमेरिका (America) के लिए बहुत नुकसानदायक होगा, क्योंकि दवाएं किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी होती हैं। भारत (India) में, हमारी सरकार दवा की कीमतों को कम करने की कोशिश कर रही है। इतने कम समय में अमेरिका में नई फैक्ट्री नहीं लग सकती। नई फैक्ट्री लगाने में समय लगता है। अगर वे फैक्ट्री लगाते भी हैं तो लेबर कॉस्ट बहुत महंगी होगी। वहीं, भारत के पास हमारे पास कुशल श्रमिक हैं।"
उन्होंने टैरिफ को एक गलती बताया और चेतावनी दी कि अमेरिकी सरकार को अपने ही लोगों से विरोध झेलना पड़ेगा।
व्यापारी डॉ. निरंजन हिरानंदानी ने कहा, "इससे भारत को नहीं बल्कि अमेरिका को ही नुकसान होगा। अमेरिका द्वारा लगाया गया यह टैरिफ बहुत गलत है।"
हिरानंदानी ने कहा, "100 प्रतिशत टैरिफ लगाने से सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका को होगा, भारत को नहीं। अमेरिका में दवाएं सबसे महंगी हैं; सबसे सस्ती दवाएं भारत में मिलती हैं। अगर वे महंगाई चाहते हैं, तो उन्हें करने दें।"
इकोनॉमिस्ट संतोष मेहरोत्रा ने आईएएनएस से कहा, "अभी तक फार्मास्यूटिकल ड्रग्स और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स पर किसी तरह का कोई टैरिफ नहीं था। लेकिन अब फार्मास्यूटिकल्स को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। हालांकि, 100 प्रतिशत टैरिफ जेनरिक दवाईयों पर नहीं है। भारत अमेरिका को जेनरिक दवाईयां ही भेजता इसलिए इस फैसले का कोई बड़ा असर नजर नहीं आता।"
अमेरिका भारत (India) के लिए फार्मास्यूटिकल सामान का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में, भारत के 27.9 बिलियन डॉलर के फार्मा निर्यात में से 31 प्रतिशत या 8.7 बिलियन डॉलर (7,72,31 करोड़ रुपए) अमेरिका को गए। 2025 के पहले छह महीनों में ही 3.7 बिलियन डॉलर (32,505 करोड़ रुपए) मूल्य के फार्मा उत्पादों का निर्यात हुआ।
(BA)