उत्तर प्रदेश सरकार अब सरकारी स्कूलों के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य (mental health) और बौद्धिक स्तर का आकलन करेगी। अधिकारियों के अनुसार, मूल्यांकन से सरकार को प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी ताकि वे भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
इसके लिए मनोविज्ञान ब्यूरो प्रयागराज ने एक प्रश्नावली तैयार की है।
इसे स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां शिक्षक छात्रों की प्रतिक्रियाएं लेंगे और उन्हें वापस प्रयागराज (Prayagraj) भेजेंगे। इसके बाद मनोवैज्ञानिक उनके उत्तरों का आकलन करेंगे और उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे।
मनोविज्ञान ब्यूरो, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की निदेशक उषा चंद्रा ने कहा, हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्र अकादमिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करें। हमारे विशेषज्ञों ने पढ़ने वाले छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और खुफिया भागफल का आकलन करने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की है। हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि क्या छात्रों को स्कूल स्तर पर किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है या माता-पिता के मोर्चे पर कुछ पिछड़ रहा है।
मनोविज्ञान ब्यूरो के कार्यालय से प्रश्नों का प्रारूप सभी 75 जिलों के बेसिक शिक्षा (education) अधिकारियों को भेज दिया गया है। छात्रों द्वारा दिए गए जवाबों के आधार पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी जाएगी।
प्रारंभ में, यह अभ्यास हर जिले के 150 स्कूलों में किया जाएगा। धीरे-धीरे इसे सभी सरकारी स्कूलों में शामिल कर लिया जाएगा।
मनोविज्ञान ब्यूरो के विशेषज्ञ छात्रों की प्रतिक्रियाओं का मूल्यांकन करेंगे और समस्याओं (यदि कोई हो) के समाधान के लिए किए जाने वाले उपायों का सुझाव देते हुए एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसके बाद छात्रों के सीखने के कौशल में सुधार के लिए एक अभ्यास किया जाएगा।
इसके साथ ही शैक्षणिक रूप से कमजोर बच्चे अन्य छात्रों के बराबर हों, इसके लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी।
बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य आकलन का डाटा गोपनीय रहेगा।
आईएएनएस/RS