कैसे रोके सुपरएजर्स डिमेंशिया के बढ़ते खतरे को?

मानसिक बीमारियों के कारण बुजुर्ग अपनी देखभाल करने में भी असमर्थ हो जाते हैं यहां तक कि उन्हें रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
 सुपरएजर्स डिमेंशिया:- उम्र के बढ़ाने के साथ जो सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों में देखने को मिलता है वह है डिमेंशिया का।[Pixabay]
सुपरएजर्स डिमेंशिया:- उम्र के बढ़ाने के साथ जो सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों में देखने को मिलता है वह है डिमेंशिया का।[Pixabay]
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बढ़ती उम्र के साथ-साथ कई प्रकार के खतरे और चिंताएं बढ़ने लगती है। उम्र के बढ़ाने के साथ जो सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों में देखने को मिलता है वह है डिमेंशिया का। डिमेंशिया एक बीमारी है जो खासकर 80 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों में देखने को मिलते हैं। हालांकि डिमेंशिया से उम्र का कोई खास जुड़ाव नहीं होता कई बार यह बीमारी 60 वर्ष के बुजुर्गों में भी देखने को मिलती है लेकिन 80 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों में डिमेंशिया का खतरा सबसे अधिक पाया जाता है। इस मानसिक बीमारियों के कारण बुजुर्ग अपनी देखभाल करने में भी असमर्थ हो जाते हैं यहां तक कि उन्हें रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ बेहतरीन आदतों को अपना कर सुपर एजर्स डिमेंशिया के खतरे को कम करने में कामयाब रहते हैं। तो चलिए हम जानते हैं की कैसे सुपर एजर्स अपनी देखभाल कर सकते हैं।

सुपरेजर्स किन्हें कहा जाता है

80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो मध्यम आयु वर्ग के लोगों की तरह सक्रिय रहते हैं उन्हें सुपर एजर्स कहा जाता है। अपनी उम्र के अन्य लोगों की तुलना में उनकी दिमागी क्षमता भी बेहतर होती है। उम्र बढ़ाने के साथ सक्रिय रहना सबसे अच्छी चीज है जिससे हेल्थ को कई फायदे भी होते हैं सप्ताह में दो-तीन बार एक्सरसाइज करने से बीमारियां होने का खतरा भी काफी कम हो जाता है फिजिकली एक्टिव रहने से बॉडी में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ती है एक्सरसाइज दिल और मांसपेशियों को मजबूत रखना है और गिरने का खतरा कम रहता है। इन कुछ आदतों को अपना कर जैसे एक्सरसाइज अपने बूढ़े हो रहे शरीर को तंदुरुस्त रखा जा सकता है।

80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो मध्यम आयु वर्ग के लोगों की तरह सक्रिय रहते हैं उन्हें सुपर एजर्स कहा जाता है।[Pixabay]
80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो मध्यम आयु वर्ग के लोगों की तरह सक्रिय रहते हैं उन्हें सुपर एजर्स कहा जाता है।[Pixabay]

मानसिक रुप से सक्रिय रहें

फिजिकल एक्टिविटी के साथ-साथ मेंटल एक्टिव रहना भी बहुत जरूरी है। भारत में आधे से ज्यादा लोग केवल अपने मानसिक सोच के कारण बुजुर्ग हो चुके हैं। मस्तिष्क को शांत रखना और नए-नए विषयों को पढ़ना खेलना कूदना पहेलियां हल करना आपकी मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत कर सकता है।

मस्तिष्क को शांत रखना और नए-नए विषयों को पढ़ना खेलना कूदना पहेलियां हल करना आपकी मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत कर सकता है। [Pixabay]
मस्तिष्क को शांत रखना और नए-नए विषयों को पढ़ना खेलना कूदना पहेलियां हल करना आपकी मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत कर सकता है। [Pixabay]

यदि यह आदत बुढ़ापे के पहले ही यदि किसी ने अपना ली तो उसे कभी भी किसी प्रकार की मानसिक रोग हो ही नहीं सकता। सुपर एजेंट सामाजिक रूप से भी काफी एक्टिव रहते हैं और लोगों से मेल-जोल मिलन में यकीन रखते हैं। यह निराशा और हताशा जैसी भावनाओं से दूर रखने में मदद करता है मानसिक रूप से निराशावादी सोच से मुक्ति होने का हेल्थ पर अच्छा असर पड़ता है। इन कुछ आदतों को अपना कर आप अपने स्वास्थ्य का देखभाल कर सकते हैं साथ ही मानसिक रोग जैसी बीमारियां अल्जाइमर'एस या फिर डिमेंशिया जैसी बीमारियां कभी आपको छू तक नहीं पाएंगे।

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