K. Rustom’s Ice Cream Sandwich: मुंबई का मीठा और यादों से जुड़ा स्वाद

के रुस्तम (K. Rustom) जो की महारष्ट्र, मुंबई की भीड़भाड़ और चमक-धमक के बीच मरीन ड्राइव (Marine Drive) समुंद्र का वो खूबसूरत और शांत तट जहाँ लोगो को समय बिताना बहुत पसंद है। पर स्तिथ है जो सत्तर साल से लोगों के दिल में मीठा स्वाद छोड़ रही है। के रुस्तम आइस क्रीम सैंडविच (K. Rustom’s Ice Cream Sandwich) सिर्फ आइसक्रीम नहीं, बल्कि पीढ़ियों की यादें और भरोसे का नाम बन चुका है।
के रुस्तम आइस क्रीम सैंडविच की दुकान और उसके आस पास काफी लोग
K. Rustom’s Ice Cream Sandwich सिर्फ आइसक्रीम नहीं, बल्कि पीढ़ियों की यादें और भरोसे का नाम बन चुका है।AI Generated
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Summary
  • K. Rustom’s की शुरुआत और कैसे एक छोटी समस्या से पैदा हुआ उनका अनोखा Ice Cream Sandwich

  •  बिना किसी विज्ञापन या मार्केटिंग के यह जगह कैसे बनी मशहूर

  •  इतने साल बाद भी यह दुकान क्यों है आज भी लोगों की पहली पसंद

  • वजहें जिन्हें K. Rustom’s ने कभी अपने बिज़नेस का विस्तार नहीं किया

साल 1953 में ख़ोदाबक्स़ रुसतम ईरानी (Khodabakhsh Rustom Irani) नाम के पारसी (Parsi) दुकानदार ने K. Rustom’s की शुरुआत की। पहले उनकी दुकान में कई तरह का सामान बिकता था लेकिन कारोबार अच्छा नहीं चल रहा था। मरीन ड्राइव (Marine Drive) पर घूमने आने वाले लोग अक्सर ठंडी और ताज़गी देने वाली चीज़ें चाहते थे। इसी सोच से उन्होंने आइसक्रीम बेचना शुरू किया।

शुरुआत में आइसक्रीम को प्लेट में परोसा जाता था, लेकिन दो बड़ी दिक्कतें सामने आईं। एक तो ग्राहक प्लेट तोड़ देते थे या फिर, कई बार लोग प्लेट घर ले जाते थे। इससे दुकान का नुकसान होता था। इस समस्या को हल करने के लिए रुसतम ने एक नया तरीका निकाला। उन्होंने मोटे आइसक्रीम के स्लैब को दो करारे वेफ़र के बीच रखकर बेचना शुरू किया।  इसी छोटे से प्रयोग से शुरू हुआ के रुस्तम के मशहूर आइस क्रीम सैंडविच का (K. Rustom’s Ice Cream Sandwich)

बिना विज्ञापन के बनी पहचान

अक्सर दुकानों और ब्रांड्स को मशहूर होने के लिए विज्ञापन पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है, लेकिन K. Rustom’s ने ऐसा कभी नहीं किया। उनकी पहचान बनी सिर्फ ग्राहकों की जुबानी प्रचार (word-of-mouth) से।

पास के कॉलेजों के छात्र यहाँ आते थे और अपने दोस्तों को बताते थे। मरीन ड्राइव (Marine Drive) पर घूमने आए पर्यटक यहाँ आकर चखते और फिर दूसरों को सुझाव देते। धीरे-धीरे यह जगह परिवारों की परंपरा बन गई, जो लोग बचपन में यहाँ आइसक्रीम खाते थे, वही आज अपने बच्चों और पोते-पोतियों को लेकर आते हैं। यानी मार्केटिंग (Marketing) नहीं, बल्कि स्वाद और भरोसा ही K. Rustom’s की सबसे बड़ी ताक़त बना।

व्यक्ति हाथ में आइस क्रीम सैंडविच पकड़े हुए
Marine Drive पर घूमने आने वाले लोग अक्सर ठंडी और ताज़गी देने वाली चीज़ें चाहते थेWikimedia Commons

आज भी क्यों है प्रासंगिक?

सत्तर साल बाद भी K. Rustom’s सिर्फ एक दुकान नहीं बल्कि मुंबई (Mumbai) का अनुभव है। इसके पीछे कई वजहें हैं:

स्वाद में स्थिरता: दशकों से वही असली रेसिपी और क्वालिटी बनी हुई है।

किफ़ायती दाम: आइसक्रीम महंगी नहीं, बल्कि हर वर्ग के लिए सुलभ वह बस अपने दाम तब बढ़ाते है जब दूध या चीज़े के दाम बढ़ जाए, क्युकी वही उनके रॉ मटेरियल है।

लोकेशन का फायदा: चर्चगेट और मरीन ड्राइव (Marine Drive) पर होने से रोज़ाना भीड़ आती रहती है।

नॉस्टैल्जिया (Nostalgia): लोग यहाँ आकर पुरानी यादों को जीते हैं।

समय के साथ बदलाव: परंपरा को बनाए रखते हुए नए फ्लेवर (जैसे पान, चॉकलेट आलमंड) भी पेश किए।

क्यों नहीं किया विस्तार?

इतनी सफलता और लोकप्रियता के बावजूद K. Rustom’s ने कभी अपने बिज़नेस को फैलाया नहीं। इसके कई कारण हैं।

सबसे पहले, उनका वेफ़र सप्लाई चेन आसान नहीं है। ये वेफ़र पुणे और हैदराबाद से आते हैं और कभी-कभी मौसम या ट्रांसपोर्ट की वजह से देर हो जाती है। अगर कई दुकानें खोल दी जाएँ तो यह समस्या और बड़ी हो सकती है।

दूसरा, परिवार का मानना है कि ज्यादा दुकानें खोलने से क्वालिटी और असली स्वाद पर असर पड़ेगा। तीसरा, उनका दर्शन हमेशा से यही रहा है कि छोटा लेकिन भरोसेमंद काम करें। यही वजह है कि आज भी सिर्फ एक ही दुकान है, और वही K. Rustom’s की खासियत भी है।

निष्कर्ष

के रुस्तम आइस क्रीम सैंडविच (K. Rustom’s Ice Cream Sandwich) सिर्फ आइसक्रीम नहीं, बल्कि मुंबई की पहचान है। यह कहानी दिखाती है कि कभी-कभी बड़ी सफलता के लिए बड़े विज्ञापन या दर्जनों आउटलेट की ज़रूरत नहीं होती। बस एक अनोखा आइडिया, भरोसा, स्वाद की स्थिरता और ग्राहकों का प्यार ही काफी है।

मरीन ड्राइव (Marine Drive) पर स्थित यह छोटा-सा पारसी पार्लर बताता है कि सादगी और परंपरा मिलकर भी ब्रांड को अमर बना सकते हैं।

(Rh/BA)

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