
रोमन समय से शुरुआत
यूरोप अगस्त शटडाउन की शुरुआत फेरागोस्तो (Ferragosto) (15 अगस्त) से मानी जाती है, जिसे 18 ईसा पूर्व सम्राट ऑगस्टस (Augustus) ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य किसानों को फसल के मौसम के अंत में आराम देना था। धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे अगस्त महीने की छुट्टियों में बदल गई। आज भी इटली (Italy) में 15 अगस्त राष्ट्रीय अवकाश होता है और लोग इसके आस-पास लंबे अवकाश पर चले जाते हैं इस कारण वर्ष लग भग पुरे अगस्त के महीने ही वहाँ ज़्यादातर दुकाने, छोटे बिज़नेस और स्कूल बंद रहते है।
मध्यकाल और धार्मिक भूमिका
मध्ययुग में अगस्त के महीने में धार्मिक त्योहार और मेलों का आयोजन होता था। मरियम का स्वर्गारोहण (Assumption of Mary) (15 अगस्त) जैसे पर्वों के कारण बाजार और कामकाज धीमा हो जाता था। इस वजह से अगस्त शटडाउन धीरे-धीरे संस्कृति का हिस्सा बन गया।
औद्योगिक युग और फैक्टरियों का बंद होना
19वीं और 20वीं शताब्दी में यूरोप (Europe) के औद्योगीकरण के साथ फैक्ट्रियों ने तय किया कि लेबर को सामूहिक रूप से छुट्टी दी जाएगी। गर्मी की वजह से अगस्त को सबसे उपयुक्त महीना चुना गया क्युकी इस महीने इतनी गर्मी होती है की काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस तरह "सामूहिक फैक्ट्री छुट्टियों" की परंपरा फ्रांस (France), इटली (Italy) और स्पेन (Spain) में और मज़बूत हो गई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कर्मचारी अधिकार
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में श्रमिक अधिकारों पर ज़ोर दिया गया और "भुगतान वाली छुट्टियों का अधिकार" दिया गया। ताकि कर्मचारियों को अपने परिवार के साथ गुज़ारने के लिए भी वक्त मिल सके और वह काम पर और जोश से लोटे। फ्रांस (France) ने 1936 में दो हफ़्तों की पेड लीव लागू की थी, जो आज पाँच हफ़्तों तक पहुँच चुकी है। इटली (Italy) और स्पेन (Spain) में भी ऐसे सुधार हुए। अगस्त शटडाउन श्रमिकों और संस्थानों दोनों के लिए सुविधाजनक विकल्प बन गया।
आज का अगस्त शटडाउन
आज भी यूरोप अगस्त शटडाउन जारी है। पेरिस (Pris), रोम (Rome) और मैड्रिड (Madrid) जैसे शहरों में छोटे व्यवसाय और रेस्टोरेंट बंद रहते हैं। इसके विपरीत समुद्र तट और पहाड़ी स्थान पर्यटकों से भर जाते हैं क्युकी बहुत गरमी होती है तो लोग यहाँ छुट्टिया मनाने और गर्मी से राहत पाने जाते है। राजनीति भी इस दौरान धीमी हो जाती है, फ्रांस और इटली की संसदें अगस्त में सत्र नहीं चलातीं। फ्रांस में अगस्त शटडाउन के बाद "ला रांत्रे" (सितंबर में नई शुरुआत) कहाँ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य और कामकाज पर असर
यूरोप अगस्त शटडाउन का सबसे बड़ा असर मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। लंबे अवकाश के कारण तनाव कम होता है, लोग तरोताज़ा होकर लौटते हैं और उनकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है। परिवार और सामाजिक संबंध मज़बूत होते हैं और रचनात्मकता में भी बढ़ोतरी होती है साथ ही कर्मचारी और ज़्यादा दिल लगाकर और महनत से काम करते है।
यूरोप में कर्मचारी कम घंटे काम करते हैं लेकिन प्रति घंटे उत्पादकता ज़्यादा होती है। इसके विपरीत अमेरिका और एशिया जैसे देशों में कम छुट्टियां होती हैं, अधिक काम के घंटे होते हैं, लेकिन परिणामस्वरूप थकान और मानसिक दबाव ज़्यादा देखने को मिलता है। जापान में तो "करोशी" यानी अधिक काम से मौत तक की समस्या है।
दुनिया इससे क्या सीख ले सकती है?
यूरोप अगस्त शटडाउन दुनिया के लिए एक सबक और सिख है। यह बताता है कि कार्य और जीवन के बीच संतुलन बहुत ज़रूरी है। सामूहिक छुट्टियों का मॉडल अपनाकर कर्मचारी बिना अपराधबोध के अवकाश ले सकते हैं। काम के घंटे गिनने के बजाय इसपर ध्यान देना चाहिए की कैसा और कितना काम किया गया है और मानसिक स्वास्थ्य को भी ध्यान मै रखना चाहिए। छुट्टी को आराम नहीं बल्कि एक मानवीय निवेश के रूप में देखना चाहिए।
निष्कर्ष
यूरोप अगस्त शटडाउन सिर्फ़ छुट्टी नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक दर्शन है। रोमन परंपरा से लेकर आधुनिक मज़दूर कानूनों तक यह परंपरा यूरोपियों को यह सिखाती है कि आराम और संतुलन से ही इंसान अपने पूर्ण सामर्थ्य में काम कर सकता है। बाकी दुनिया के लिए यह एक महत्वपूर्ण संदेश है। (Rh/Eth/BA)