बिहार के लोग अब तरबूज के पल्प से बने गुड़ का चखेंगे स्वाद

एक हजार किलो तरबूज में करीब 80 से 90 किलोग्राम तरल गुड़ तैयार हो रहा है।
तरबूज।
तरबूज। तरबूज (IANS)

बिहार में कुछ दिनों के बाद आप आए और आपको खाने के लिए तरबूज से बना गुड़ खाने को मिल जाए, तो चकित होने की जरूरत नहीं है, बिहार के समस्तीपुर के पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानियों ने यह अनुसंधान किया है। हालांकि अभी तक इसके ठोस रूप देने में सफलता नहीं मिली है। वैज्ञानिकों ने तरबूज से तरल गुड़ बनाने में सफलता पाई है।

ईख अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. ए के सिंह ने बताया कि तरबूज में बीज अलग कर पल्प की पेराई के बाद जूस को बायलर टैंक में भेजा जाता है। वहां इसे एक निश्चित तापमान पर गर्म करने पर यह गाढ़ा तरल बन जाता है।

उन्होंने बताया कि एक हजार किलो तरबूज में करीब 80 से 90 किलोग्राम तरल गुड़ तैयार हो रहा है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वैज्ञानिकों को अभी इसे ठोस आकार देने में सफलता नहीं मिली है।

सिंह ने बताया कि तरबूज से गुड़ बनाने पर शोध की शुरूआत पिछले वर्ष जून में हुई थी। विभिन्न स्तरों पर जांच के बाद गुड़ बनाने में सफलता मिली। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स की जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी लाभप्रद होगा।

विश्वविद्यालय में तरबूज के छिलके और पल्प के बीच मौजूद सफेद हिस्से से मुरब्बा भी तैयार किया जा रहा है।

बिहार में 4.60 हजार हेक्टेयर भूभाग में तरबूज की खेती होती है। गर्मी मौसम के प्रारंभ में तरबूज की कीमत अच्छी मिलती है लेकिन बारिश के मौसम में इसके मूल्यों में काफी गिरावट आ जाती है। मौसम के पहले बारिश होने के बाद तो किसान तरबूज को खेतों में ही छोड़ देते हैं।

माना जा रहा है वैज्ञानिकों का अनुसंधान अगर सफल रहा तो यह किसानों और इससे जुड़े उद्यमियों के लिए काफी लाभप्रद साबित होगा।

(आईएएनएस/JS)

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