
नई दिल्ली, । पोटैशियम (Potassium) ऐसा मिनरल (Mineral) है, जिसे सही मायनों में शरीर का 'साइलेंट हीरो' '(Silent Hero)' कहा जा सकता है।
आयुर्वेद में इसे क्षार तत्व कहा गया है, जो वात और पित्त दोष को संतुलित करता है और शरीर की ऊर्जा धारा को संतुलन में रखता है। यह एक जरूरी इलेक्ट्रोलाइट खनिज (Electrolyte mineral) है जो दिल की धड़कन (Heart Rhythm) , मांसपेशियों की हरकत, दिमाग के संकेत भेजने की प्रक्रिया और शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
पोटैशियम दिल के लिए एक रक्षक की तरह काम करता है। यह हृदय की मांसपेशियों को नियमित रूप से संकुचित (Compressed) करने में मदद करता है, जिससे धड़कन सामान्य बनी रहती है। इसकी कमी से दिल की धड़कन गड़बड़ा सकती है या हार्ट अटैक (Heart Attack) का खतरा भी बढ़ सकता है।
इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कंट्रोल करने में भी मदद करता है, क्योंकि यह सोडियम के प्रभाव को संतुलित करता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए मंत्र है- कम सोडियम (Low Sodium And High Potassium) और ज्यादा पोटैशियम।
पोटैशियम मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के सही तालमेल में भी मदद करता है। थकान, कमजोरी, चिड़चिड़ापन या भ्रम जैसी समस्याएं कई बार इसकी कमी की वजह से होती हैं। इसके अलावा, यह किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है और शरीर से एसिडिक वेस्ट को बाहर निकालता है।
एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना लगभग 3500-4700 मिलीग्राम पोटेशियम की जरूरत होती है। बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं में यह मात्रा थोड़ी अलग हो सकती है। पोटेशियम की कमी को हाइपोकैलिमिया (Hypokalemia) कहते हैं, जिसमें मांसपेशियों में ऐंठन (Muscle Cramps), थकावट, कब्ज (Constipation),अनियमित धड़कन (Irregular Heartbeat), सुस्ती या यहां तक कि सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। लंबे समय तक इसकी कमी रहने पर हृदय, गुर्दे और नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ सकता है।
अच्छे प्राकृतिक स्रोतों की बात करें तो पोटैशियम आपको केला (Banana), संतरा, नारियल पानी (Coconut Water), पालक, शकरकंद, मूंग दाल, दही, खजूर और किशमिश से भरपूर मात्रा में मिल सकता है।
हर केला लगभग 422 मिलीग्राम पोटैशियम (Potassium) देता है, यानी दो केले से आपकी दिनभर की जरूरत का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो जाता है।
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