ऑरोविल: सीमाओं से परे इंसानियत का शहर, जानिए क्यों है यह इतना खास

बता दें कि दक्षिण भारत के तमिलनाडु और पुदुचेरी की सीमा पर बसा ऑरोविल एक ऐसा नगर है जो सिर्फ ईंट-पत्थरों से नहीं बना, बल्कि इसका जन्म सपनों और विचारों से हुआ है।
ऑरोविल:  सीमाओं से परे इंसानियत का शहर
ऑरोविल: सीमाओं से परे इंसानियत का शहरSora Ai
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भारत में बसा दुनिया का अनोखा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय।

बता दें कि दक्षिण भारत के तमिलनाडु और पुदुचेरी (Tamil Nadu and Puducherry) की सीमा पर बसा ऑरोविल एक ऐसा नगर है जो सिर्फ ईंट-पत्थरों से नहीं बना, बल्कि इसका जन्म सपनों और विचारों से हुआ है। इसे “सिटी ऑफ डॉन” कहा जाता है, इसका अर्थ है सुबह का नगर क्योंकि यहाँ एक नई सुबह, एक नई शुरुआत और एक नए जीवन का सपना देखा जा रहा है और साथ ही यह सपना वहां के रहने वाले लोग साकार कर भी रहे है। यह नगर न तो साधारण गाँव है, न ही साधारण शहर। यह एक ऐसा प्रयोग है जहाँ दुनिया के कोने-कोने से आए लोग एक साथ रहते हैं और यह दिखाते हैं कि विविधता में एकता (Unity in Diversity) होना आज भी संभव है।

कैसे बना यह नगर ?

अगर हम इसके इतिहास की बात करे तो इसका इतिहास बेहद रोचक है। इस नगर का सपना महान दार्शनिक और योगी श्री अरविंदो (Sri Aurobindo) ने देखा था। और फिर उनकी शिष्या व सहयोगी माँ (मीर्रा अल्फासा) ने इसे वास्तविक रूप दिया। माँ का मानना था कि दुनिया के लोग तभी शांति से जी सकते हैं जब वह सीमाओं और धर्म के बंधनों से ऊपर उठकर खुद को एक इंसान के रूप में पहचानें। इसी सोच के आधार पर 28 फरवरी 1968 को ऑरोविल की स्थापना की गई, और UNESCO की आम सभा ने भी इस परियोजना का समर्थन किया था। उस दिन एक ऐतिहासिक समारोह हुआ जहाँ भारत के सभी राज्यों और दुनिया के 124 देशों के प्रतिनिधि अपने-अपने देश की मिट्टी लेकर आए और उसे एक बड़े पात्र में मिलाया। यह मिट्टी इस नगर की नींव बनी और इसके साथ ही यह संदेश दिया गया कि पूरी धरती एक है और हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं। ऑरोविल को फ्रांसीसी वास्तुकार Roger Anger ने डिज़ाइन किया था।

महान दार्शनिक और योगी श्री  अरविंदो
महान दार्शनिक और योगी श्री अरविंदोSora Ai

मातृमंदिर की शांति और मानवता का अद्भुत प्रयोग।

ऑरोविल (Auroville) का सबसे बड़ा उद्देश्य है मानव एकता। जहां धर्म, जाति, रंग, भाषा या राजनीति की कोई दीवार न हो। यहाँ का सिद्धांत बहुत सरल है। सभी लोग मिलकर काम करें, मिलकर निर्णय लें और एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ सहयोग, शांति और प्रेम का माहौल हो। यही कारण है कि ऑरोविल को पूरी दुनिया में एक “जीवित प्रयोगशाला” (Living Laboratory) कहा जाता है जहाँ लोग नए ढंग से जीने की कोशिश कर रहे हैं।

यहाँ की संस्कृति बहुस्तरीय है। तमिलनाडु और पुदुचेरी की स्थानीय संस्कृति यहाँ की मिट्टी में बसी हुई है, लेकिन इसके साथ ही यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के रंग भी यहाँ घुले हुए हैं। यहाँ हर इंसान कोई न कोई कार्य में लगा हुआ मिलता है, जैसे कोई संगीत में रचा-बसा है, कोई नृत्य और चित्रकला में, तो कभी कोई हस्तशिल्प और शिक्षा के प्रयोग में है। ऑरोविल की गलियों में चलते हुए ऐसा अनुभव होता है मानो आप एक छोटे भारत में नहीं, बल्कि एक छोटे विश्व में घूम रहे है।

ऑरोविल की सबसे प्रसिद्ध इमारत है मातृमंदिर। यह एक विशाल सुनहरे गुंबद (Dome) के रूप में बना ध्यान स्थल है जिसे इस नगर की आत्मा कहा जाता है। यह किसी धर्म से जुड़ा मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग आंतरिक शांति और ध्यान के लिए आते हैं। मातृमंदिर के पास जाते ही इसका शांत वातावरण और गहरी निस्तब्धता (Serene Atmosphere and Deep Silence) मन को भीतर तक छू लेती है। इसके चारों ओर बने बारह बाग जीवन के अलग-अलग पहलुओं का प्रतीक हैं। जो भी यहाँ रहने आता है, वह अपने भीतर की एक अनोखी यात्रा को शुरू करता है।

मातृमंदिर की शांति और मानवता का अद्भुत प्रयोग।
मातृमंदिर की शांति और मानवता का अद्भुत प्रयोग।Ai

यहाँ 60 से अधिक देशो के लोग एक परिवार की तरह रहते है।

इस नगर के लोग अपनी सादगी और सहयोग के लिए जाने जाते हैं। यहाँ करीब 60 से अधिक देशों के लोग रहते हैं, जिनमें से भारतीयों की संख्या अधिक है। यहाँ कोई जैविक खेती करता है, कोई शिक्षा देता है, कोई कला या विज्ञान में प्रयोग करता है, तो कोई स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान देता है। हर व्यक्ति का उद्देश्य केवल यही होता है कि वह समुदाय के लिए कुछ करे और साथ मिलकर जीवन को बेहतर बनाए।

क्यों है यह इतना खास ?

यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता है प्रकृति के साथ ताल-मेल और सामंजस्य के साथ रहना। ऑरोविल की जो भूमि कभी बंजर थी, आज वह हरियाली से ढकी है। यहाँ हजारों पेड़ लगाए गए थे, मिट्टी का कटाव रोका गया है, जल संरक्षण की योजनाएँ लागू की गई हैं और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। खेती में जैविक तरीकों को अपनाया जाता है। यह की सभी चीज़े ऑरोविल कि सोच को दिखाता है। एक ऐसा जीवन जहाँ इंसान और प्रकृति साथ-साथ आगे बड़े, और एक संतुलित जीवन का निर्वहन करे।

हालाँकि यह भी सच है कि ऑरोविल को अपनी यात्रा में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इन चुनौतियों में शामिल है भूमि प्रबंधन, वित्तीय संसाधनों की कमी, प्रशासनिक मतभेद और विकास की गति जैसे मुद्दे। लेकिन इसके बावजूद इस नगर ने धीरे-धीरे खुद को साबित किया। और आज ऑरोविल न केवल पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता में भी पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।

निष्कर्ष

ऑरोविल (Auroville) सिर्फ एक नगर नहीं बल्कि एक सपना है, एक ऐसा सपना जो हमें यह सिखाता है कि भले ही हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति और देश अलग हों, लेकिन फिर भी हम सब एक हैं। यह जगह हमें दिखाती है कि जब मन साफ और सोच सकारात्मक हो और साथ रहने की जब मन से चाह हो, सहयोग करने की चाह हो, तो हम एक सुंदर समुदाय बना सकते हैं, और जब ऐसा संभव होता है तब इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म बन जाता है। यदि कभी आपको जीवन में शांति, सहयोग और सच्ची मानवता की खोज करनी हो, तो ऑरोविल की यात्रा जरूर करें। यह सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि आत्मा को छू लेने वाला अनुभव है।

[Rh/SS]

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