हरियाणा में हो रहा है इको टूरिज्म का विकास, प्राकृतिक संसाधनों का होगा संरक्षण

नई नीति का उद्देश्य है कि राज्य की समृद्ध जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र, विरासत स्मारकों और सांस्कृतिक विविधताओं का संरक्षण करें।
Chandigarh : हरियाणा में अब इको टूरिज्म  यानी पारिस्थितिकी पर्यटन तेजी से बढ़ने वाला है। (Wikimedia Commons)
Chandigarh : हरियाणा में अब इको टूरिज्म यानी पारिस्थितिकी पर्यटन तेजी से बढ़ने वाला है। (Wikimedia Commons)

Chandigarh : हरियाणा में अब इको टूरिज्म यानी पारिस्थितिकी पर्यटन तेजी से बढ़ने वाला है। इको-टूरिज्म के विकास के लिए कुछ नई नीति बनाई गई है। जिस पर बुधवार को मनोहर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। नई नीति का उद्देश्य है कि राज्य की समृद्ध जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र, विरासत स्मारकों और सांस्कृतिक विविधताओं का संरक्षण करें। इससे हरियाणा प्रमुख इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित होगा।

विभाग ने पर्यटन के क्षेत्र में बिल्कुल नया दृष्टिकोण अपनाया है। कार्यक्रम पर्यावरण के सांस्कृतिक और प्राकृतिक इतिहास की सराहना करने के लिए प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा को संरक्षित कर रहे हैं, पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता को परेशान न करने का ध्यान रख रहे हैं, जबकि आर्थिक अवसर पैदा कर रहे हैं जो स्थानीय लोगों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सुरक्षा को दृढ़ बनाता है।

कौन - कौन से स्थल शामिल है?

कुछ शहरों में ईको टूरिज्म सुविधाएं दी जा रही नीति में विविध परिदृश्यों के संरक्षण पर ज्यादा ध्यान दिया गया है, जिसमें दो राष्ट्रीय उद्यान, सात वन्यजीव अभयारण्य, दो रामसर स्थल, दो संरक्षण रिजर्व और पांच सामुदायिक रिजर्व, अरावली पहाड़ी श्रृंखला, शिवालिक पहाड़ियां, समृद्ध जैव विविधता वाले घने जंगल, जल निकाय और दर्शनीय स्थल शामिल किए गए हैं इतना ही नहीं इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यमुनानगर के चुहड़पुर और बनसंतोर, पंचकूला में थापली, पंचकूला एवं यमुनानगर में नेचर ट्रेल और रेवाड़ी जिले में मसानी में इको-टूरिज्म सुविधाएं विकसित की गई है।

वन विभाग के तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती और सेवा नियमों में बदलाव किया गया है। (Wikimedia Commons)
वन विभाग के तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती और सेवा नियमों में बदलाव किया गया है। (Wikimedia Commons)

वन विभाग में होगी शुरू होगी भर्ती

वहीं, वन विभाग के तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती और सेवा नियमों में बदलाव किया गया है। रेंजर के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती होगी और 50 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे।वर्तमान में यह अनुपात 67:33 है। डिप्टी रेंजर्स को पदोन्नति के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सिफारिश पर नियमों में यह संशोधन किया गया है।

इस बार भारतीय वन सेवा द्वारा होगी भर्ती

वर्तमान में वन रेंजरों के 126 पद हैं, जिनमें से 67 प्रतिशत हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा भरे जाते हैं तथा 33 प्रतिशत पर डिप्टी रेंजरों से पदोन्नति द्वारा नियुक्ति की जाती है। इसी प्रकार भारतीय वन सेवा के अधिकारी ही मुख्य वन्य जीव वार्डन बन सकेंगे। मुख्य वन्य जीव वार्डन का पद राज्य नियमों से हटा दिया गया है। इस पद को अब भारत सरकार द्वारा भारतीय वन सेवा (हरियाणा कैडर) में पीसीसीएफ स्तर पर शामिल किया गया है।

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