Matangeshwar Mahadev: भगवान शंकर का अति प्रिय महीना श्रावण मास कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह मास आती पवित्र और पूजा-साधन के लिए श्रेयस्कर है। इस मास में लोग महाशिवपुराण का पाठ, रुद्राभिषेक और कई लोग तो 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करते हैं। जो कहीं नहीं जा पाते तो भी काम से काम शिवलिंगों के दर्शन, अभिषेक और पूजन तो करते ही हैं। शिवलिंग भगवान शंकर के अखिल ब्रह्मांड स्वरूप का प्रतिरूप है। इसी शिवलिंग की बात में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का एक मंदिर है जहां का शिवलिंग बेहद खास और आश्चर्य पैदा करने वाला है। मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित यह शिवलिंग हर वर्ष बढ़ता है।
खजुराहो का एक प्रसिद्ध मंदिर मातंगेश्वर (Matangeshwar Mahadev) है, जिसके शिवलिंग का आकार काफी बड़ा है। शिवलिंग बड़ा होने के साथ-साथ एक और खासियत के साथ प्रतिष्ठित है। यह हर वर्ष बढ़ता जाता है। अभी इसकी ऊंचाई 9 मीटर है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसका आकार हर साल लगभग एक इंच बढ़ता है। हर वर्ष इंच टेप से नापने के बाद इस बात की पुष्टी की जाती है कि शिवलिंग का आकार बढ़ा है। इस शिवलिंग को लेकर एक ये भी दावा किया जाता है कि यह शिवलिंग जितना ऊपर है उतना ही नीचे भी है।
लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित इस 35 फीट वर्गाकार मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा स्वर्ग और निचला हिस्सा पाताल में है। इस मंदिर का मुख पूरब की तरफ है और गर्भगृह वर्गाकार है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यह मंदिर 900 से 925 ईसवीं के आसपास का है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के पास पन्ना रत्न था, जिसे उन्होंने प्रसन्न होकर युधिष्ठिर को दिया था। युधिष्ठिर के पास से वो मणि मतंग ऋषि के पास पहुँच गई और ऋषि ने वो मणि राजा हर्षवर्मन को दे दिया। कहा जाता है कि हर्षवर्मन ने उस मणि को जमीन में गाड़ दिया था जो बाद में शिवलिंग के रूप में प्रकट हुआ। कहा जाता है कि मतंग ऋषि के रत्न के कारण ही इस मंदिर का नाम मातंगेश्वर महादेव पड़ा.