Monuments built by Women : भारत का इतिहास बिना महिलाओं के अधूरा - सा लगता है। महिलाओं ने कला, संगीत, अभिनय के क्षेत्र में तो अपना योगदान दिया ही है इसके अलावा महल और कीले के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। आज हम आपको ऐसी इमारतों के बारे में बताने वाले हैं, जिसे महिलाओं ने बनवाया है, यदि आपको भी ऐतिहासिक जगहों पर घूमना पसंद है, तो आप यहां पर एकबार जरूर अपने दोस्त और परिवार के साथ जा सकते हैं।
विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। पल्लवों पर अपने पति विक्रमादित्य की जीत का जश्न मनाने के लिए रानी लोकमहादेवी द्वारा निर्मित करवाया गया था। वह पल्लवों की राजधानी कांची से कुशल मूर्तिकारों को लेकर आईं और इस वास्तुशिल्प चमत्कार के निर्माण की देखरेख भी की।
यह मंदिर कश्मीर घाटी में स्थित है। 1915 में महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया द्वारा बनवाया गया था। डोगरा राजवंश के राजा हरि सिंह की पत्नी के रूप में उनकी वास्तुकला कौशल इस शांत अभयारण्य में चमकती है। यह भगवान शिव को समर्पित है और गुलमर्ग शहर के मध्य में एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है।
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी यानी सीढ़ीदार कुआँ है। 11 वीं शताब्दी में, रानी उदयमती ने अपने पति पति को श्रद्धांजलि के रूप में इस लुभावनी संरचना का निर्माण कराया था। इसका निर्माण इंवर्टेड टेंपल के रूप में किया गया है।
मुगल सम्राट हुमायूं के निधन के बाद उनकी विधवा हमीदा बानो बेगम ने उनके सम्मान में इस शानदार मकबरे का निर्माण कराया। फ़ारसी वास्तुकार मिराक मिर्ज़ा घियास द्वारा डिज़ाइन किया गया। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायूँ की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं।
भोपाल की दूसरी बेगम सिकंदर बेगम ने 1860 में इस उत्कृष्ट मस्जिद का निर्माण कराया था, जो भोपाल में स्थित है। सिकंदर जहां बेगम का उपनाम मोती बीबी था। उन्हीं के नाम पर मस्जिद का नाम मोती मस्जिद रखा गया।