इस गुफा में है कलयुग के अंत का रहस्य, यहीं से होता है केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन

पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है।
Patal bhuvaneshwar Cave Temple: यह मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है।(Wikimedia Commons)
Patal bhuvaneshwar Cave Temple: यह मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है।(Wikimedia Commons)
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Patal bhuvaneshwar Cave Temple : भारत के कोने-कोने में कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं स्थित है। जिनमें से कई गुफाओं के रहस्य का पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए। इन्हीं मंदिरों में से एक उत्तराखंड का शिव मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर का नाम भुवनेश्वर गुफा मंदिर है। यह मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का रहस्य छिपा हुआ है। लेकिन यह बात कितनी सच्ची है इस बारे में आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।

पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। देवदार के घने जंगलों के बीच यह अनेक भूमिगत गुफाओं का संग्रह है। जिसमें से एक बड़ी गुफा के अंदर शंकर जी का मंदिर स्थापित है। यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभागद्वारा अपने कब्जे में लिया गया है।

त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था। (Wikimedia Commons)
त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था। (Wikimedia Commons)

33 कोटि देवी-देवताओं का है निवास

पाताल भुवनेश्वर गुफा में श्रद्धालुओं के एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस गुफा में 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था। इसके बाद द्वापर युग में इस जगह पर पांडवो ने भगवान शिवजी के साथ चौपाड़ खेला था। कलयुग में आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की और यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया और बाद में चंद राजाओं ने इस गुफा को खोजा।

यहीं है गणेश जी का सिर

जब भगवान शिव ने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था तो उस मस्तक को पाताल भुवनेश्वर में ही रखा गया था। इस गुफा के अंदर गणेश जी के कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप की एक चट्टान स्थापित है। इस ब्रह्मकमल से गणेश जी के मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। कहा जाता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।

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