जयपुर का ये बाग है प्रेम का प्रतीक, जानें क्या है इसकी खासियत

सिसोदिया रानी बाग एक बाग तथा महल है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। आपको बता दें कि इसी महल में राजकुमार माधोसिंह का जन्म हुआ था।
Sisodia Rani ka Bagh : इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। (Wikimedia Commons)
Sisodia Rani ka Bagh : इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। (Wikimedia Commons)
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Sisodia Rani ka Bagh : पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में राजा-महाराजाओं के ऐतिहासिक किले, महल तथा सुंदरता से भरपूर बाग और अद्भुत मंदिर देखने को मिलते है। इसी कारण ये जगह सिर्फ देशी नही बल्कि विदेशी सैलानियों को भी खूब भाता है। एक तरफ जहां हवा महल के अंदर कदम रखते ही लोगों को राजपूताना और इस्लामी मुगल वास्तुकला का मेल देखने को मिलता है, तो वहीं शहर से छह किलोमीटर दूरी पर स्थित सिसोदिया रानी का बाग ऐसा जगह है जिसकी खूबसूरती देख आपका मन प्रसन्न हो जायेगा। आइए जानते है इस जगह से जुड़ी कुछ खास बातें।

सिसोदिया रानी के बाग का इतिहास

जयपुर के महाराजा को अपनी दूसरी पत्नी, उदयपुर की राजकुमारी से विशेष स्नेह था और उन्होंने अपनी प्रिय रानी के लिए विश्राम स्थल के रूप में एक विशेष उद्यान बनवाया। सिसोदिया रानी बाग एक बाग तथा महल है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। आपको बता दें कि इसी महल में राजकुमार माधोसिंह का जन्म हुआ था, जो बाद में 1750 ई में जयपुर के राजा बने। ये जगह इतना सुंदर है कि यहा 1991 में एक भारतीय हिंदी फ़िल्म लम्हें की शूटिंग भी गई थी। उस फ़िल्म में अनिल कपूर तथा श्री देवी ने अभिनय किया था।

यहां 1991 में एक भारतीय हिंदी फ़िल्म लम्हें की शूटिंग भी की गई थी। (Wikimedia Commons)
यहां 1991 में एक भारतीय हिंदी फ़िल्म लम्हें की शूटिंग भी की गई थी। (Wikimedia Commons)

प्रेम का प्रतीक है ये बाग

हरे-भरे पेड़ों और फूलों की क्यारियों के अलावा, यहां खूबसूरत चारबाग शैली का उद्यान अपने बहुस्तरीय महल, मंडपों, मंदिरों, भित्तिचित्रों, दर्शनीय स्थलों, चित्रों और फव्वारों के लिए प्रसिद्ध है। यह उद्यान को देखने पर्यटकों और स्थानीय लोग समान रूप से आते रहते है। महल की दीवारों पर भित्ति चित्र मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और उनकी सबसे प्रिय राधा के जीवन की प्रेम कहानियों और किंवदंतियों पर आधारित हैं। मुगल आर्किटेक्चर पर बने इस बाग को बनाया भी इस तरह से गया है, जहां रानी के महल से पूरा बगीचा दिखता है।

क्या है प्रवेश शुल्क ?

बगीचों की यात्रा का सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों के महीनों के बीच होता है क्योंकि यह सबसे अच्छा समय है जब फूल पूरी तरह से खिलते हैं। इसलिए, जुलाई से मार्च सबसे अच्छा समय होगा।इस बाग में प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए प्रति व्यक्ति जहां 55 रुपए है, तो वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति 302 रुपए रखा गया है। वहीं पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए इसकी कीमत मात्र 25 रुपए है और 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश निशुल्क है।

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