Bhavnagar के पास स्थित है दुनिया का अकेला ऐसा पर्वत जिसपर हैं सैकड़ों मंदिर

मंदिर परिसर में एक मुस्लिम संत की दरगाह भी है, जिसे अंगार पीर के नाम से जाना जाता है।
Bhavnagar के पास स्थित है दुनिया का अकेला ऐसा पर्वत जिसपर हैं सैकड़ों मंदिर
Bhavnagar के पास स्थित है दुनिया का अकेला ऐसा पर्वत जिसपर हैं सैकड़ों मंदिरWikimedia Commons

कभी डायमंड सिटी के नाम से मशहूर रहे भावनगर (Bhavnagar) शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर, दक्षिण-पश्चिम में स्थित, शत्रुंजय (Shatrunjaya) की पहाड़ियों पर मंदिरों का एक राजसी समूह स्थापित है। ये मंदिर, भावनगर जिले के पालीताना (Palitana) के भीड़-भाड़ वाले और धूल भरे शहर में स्थित हैं। कभी एक छोटा शहर रहा पलिताना, अब तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सेवा के लिए तेजी से विकसित हो गया है। शत्रुंजय (Shatrunjaya) पहाड़ी को एक पवित्र स्थल माना जाता है क्योंकि इसमें सैकड़ों तीर्थ और मंदिर हैं। ऐसा माना जाता है कि पहाड़ी पर मौजूद मंदिरों को पवित्र किया गया था, जब जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ (Tirthankara Rishabh) ने पहाड़ी के ऊपर मंदिर में अपना पहला धर्मोपदेश दिया था।

चूंकि ये मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित हैं, इसलिए शीर्ष की ओर चढ़ना अत्यंत कठोर और कठिन माना जाता है। शीर्ष की ओर अगर आगे बढ़ें तो कीमती नक्काशीदार मंदिरों के चकाचौंध और लुभावने दृश्य से हर कोई अचंभित हो उठता है। कार्तिक पूर्णिमा उत्सव के दौरान मंदिरों में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की बाढ़ का अनुभव होता है। यह भी अविश्वसनीय है कि, 900 से अधिक वर्ष पुरानी पहाड़ी, मंदिरों से युक्त होने के अलावा, जैनियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। कई मान्यताओं के अनुसार, जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ (जिन्हें ऋषभ भी कहा जाता है) ने पहाड़ियों के शिखर पर स्थित एक रेयान (Rayan) वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था।

पालीताना के मंदिर
पालीताना के मंदिर Wikimedia Commons

इतिहासकारों का कहना है कि पलिताना मंदिरों का निर्माण 900 वर्षों की अवधि में किया गया था और इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ था। यहाँ पर पहला मंदिर एक महान जैन संरक्षक कुमारपाल सोलंकी (Kumarpal Solanki) द्वारा बनाया गया था। बाद में, 1311 ई. में, तुर्की मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को नष्ट कर दिया और आगे चलकर संत जिनप्रभासुरी (Jinaprabhasuri) ने इन मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया।

Bhavnagar के पास स्थित है दुनिया का अकेला ऐसा पर्वत जिसपर हैं सैकड़ों मंदिर
अनेक ऐतिहसिक और आध्यात्मिक घटनाओं का केंद्र: कालकाजी मंदिर

इन मंदिरों की दिलचस्प बात यह है कि, इन मंदिरों को बाड़ों के समूह में बनाया गया है। प्रत्येक बाड़े में एक मुख्य केंद्रीय मंदिर है जिसके चारों ओर कई छोटे-छोटे मंदिर हैं। पहाड़ी की चोटी 7,288 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिरों तक पहुंचने के लिए 3,750 से अधिक पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यदि कोई विशेष दिन पर इस स्थान पर जाता है, तो वो आसानी से खंभात की खाड़ी (Gulf of Khambhat) को देख सकता है।

इसके अलावा, मंदिर परिसर में एक मुस्लिम संत की दरगाह भी है, जिसे अंगार पीर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि उसने मुगलों के हमले से मंदिरों की रक्षा की थी। यहाँ एक बड़े पैमाने पर, पहले जैन तीर्थंकर आदिनाथ (Adinath) की भी छवियां हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने यहां ज्ञान प्राप्त किया था। ये छवियाँ हमें अतीत के उन्हीं स्वर्णिम पन्नों का स्मरण करवाती हैं।

यह मंदिर वास्तव में सबसे बड़ी और सबसे शानदार संरचना में से एक है जिसे कोई भी अनुभव कर सकता है। मंदिर की संरचनाओं की विस्तृत नक्काशी और पर्वत शिखर के दृश्य वास्तव में लुभावने हैं। इन मंदिरों की यात्रा का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच माना जाता है।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com