न्यूजग्राम हिंदी: बिहार (Bihar) में ऐसे तो किसानी की चर्चा कम ही होती है, लेकिन इन दिनों लखीसराय के एक किसान की चर्चा खूब हो रही है। एमबीए (MBA) की पढ़ाई पूरी कर पुणे (Pune) में आईटी (IT) के क्षेत्र में नौकरी छोड़कर किसान बने अमित अंग्रेजी बोलने को लेकर सुर्खियों में हैं। लखीसराय जिले के किसान अमित कुमार (Amit Kumar) के हाल ही में पटना (Patna) में आयोजित चतुर्थ कृषि रोड मैप कार्यक्रम के दौरान बार बार अंग्रेजी के शब्दों के प्रयोग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) खफा हो गए और कहा कि 'यह इंग्लैंड नहीं भारत है, बिहार है'। इसके बाद यह वीडियो वायरल (Video Viral) हो गया। दरअसल, अमित ने कोरोना काल में किसानी क्षेत्र में हाथ आजमाना शुरू किया और तीन वर्षों में उनका मशरूम (Mushroom) का सलाना कारोबार करीब 15 लाख रुपए तक पहुंच गया।
पुणे से एमबीए की डिग्री के साथ अमित और उनकी पत्नी दीपिका कुमारी (Deepika Kumari), जिनके पास बीसीए (BCA) की डिग्री है, लखीसराय में अपनी 10 कट्ठा भूमि (लगभग 14,000 वर्ग फुट) में पिछले तीन वर्षों से मशरूम की खेती कर रहे हैं। अमित आईएएनएस को बताते हैं कि कोरोना काल के पूर्व पुणे में हम दोनो अच्छी खासी नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना काल में जब वे अपने गांव रामपुर आए तो यहां के किसानों की परेशानी देखकर उनके लिए कुछ करने की योजना बनाई और फिर नौकरी छोड़ इसी कार्य में जुड़ गया। इसके बाद कुछ रिसर्च के बाद अमित और दीपिका ने मशरूम की खेती करने का फैसला किया। पहले एक साल तो उन्होंने स्वयं खेती की जब सफलता मिली तो फिर अमित अन्य किसानों को इसके लिए जागरूक करने में जुट गए। उन्होंने बताया कि धान और गेहूं की खेती से कम मेहनत में इससे किसान ज्यादा कमा सकते है। दो से तीन सालों से अमित और दीपिका रोजाना करीब 80 किलोग्राम मशरूम बेच रहे हैं। वे कहते है कि मशरूम के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें बदलाव कर कई खाद्य वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल वे मशरूम के अलावा इससे बिस्किट, अचार, चॉकलेट और पापड़ बना रहे हैं।
हाल के दिनों में देखे तो मुंगेर, लखीसराय और बांका जिले के किसानों की दिलचस्पी मशरूम की खेती में बढ़ रही है। वर्ष 2022 में टेटिया बांबर (मुंगेर) की मशरूम किसान वीणा देवी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा दिल्ली में सम्मानित किए जाने के बाद इसे लेकर किसान आकर्षित हुए हैं।
आईएएनएस से बात करते हुए अमित भी मानते है कि किसानों में मशरूम की खेती के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। वे बताते हैं कि 'जय मशरूम, घर घर मशरूम' के नारे के अंतर्गत खुद तीन सालों में 5000 से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण दे चुके हैं। उनका प्रयास है कि इस मुहिम के तहत मशरूम को घर घर पहुंचाया जाए ताकि प्रत्येक व्यक्ति इसके गुणों का लाभ उठा सके। मशरूम के बाजार उपलब्ध होने के संबंध में बताते हैं कि मशरूम बेचने के लिए बहुत मेहनत की दरकार नहीं है। लखीसराय में भी इसकी मांग है। वे बताते हैं कि उनके द्वारा मशरूम से बनी वस्तुओं की मांग दिल्ली, मुंबई, पुणे तक है। ऑनलाइन ऑर्डर आने के बाद कुरियर से आपूर्ति कर दी जाती है। दीपिका बताती हैं कि किसानों की सोच बदलने के लिए हम लोगों ने मशरूम की खेती प्रारंभ की थी। कम लागत और कम जगह में यह सबसे फायदेमंद व्यवसाय है। उन्होंने कहा कि मशरूम से बनी बिस्कुट, केक, बेकरी शरीर के लिए भी काफी लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि अभी छोटे मशीनों से यह काम किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में इसे और बड़ा किया जाएगा। भविष्य की योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर अमित बताते हैं कि उनकी योजना किसानों में प्रगति लाने की है। वे इंटीग्रेटेड फार्मिंग को लेकर योजना पर काम प्रारंभ कर चुके है। इसके आलावा वे मशरूम के उत्पादों को बिहार के सभी जिलों में पहुंचाना चाहते हैं।