फेमिनिन एनर्जी का जादू या जाल? ऑनलाइन डेटिंग में नारीत्व का नया रूप

आज के डेटिंग दौर में ‘फेमिनिन एनर्जी’ यानी नारीत्व को लेकर नई परिभाषाएँ हैं। सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने स्त्रियों के लिए ‘कैसी दिखना है’ और ‘कैसे बर्ताव करना है’ के नए नियम बना दिए हैं। सवाल यह है कि क्या यह सच में प्यार का रास्ता है या सिर्फ एक और सामाजिक दबाव?
एक लड़की उदास बैठी है, मोबाइल फ़ोन है
फेमिनिन एनर्जी का जादू या जाल?AI Generated
Published on
Updated on
3 min read
Summary

सार

  • आज के डेटिंग कल्चर में नारीत्व को “नरम और चुप” होने तक सीमित किया जा रहा है।

  • सोशल मीडिया और डेटिंग गुरूज़ ने “फेमिनिन एनर्जी” को ट्रेंड बना दिया है।

  • यह ट्रेंड महिलाओं पर दबाव डाल रहा है कि वे खुद को एक तय ढाँचे में ढालें।

प्यार अब सिर्फ महसूस करने की चीज़ नहीं रही, बल्कि एक तरह का "प्रदर्शन" बन गई है। आज के समय में सोशल मीडिया (social media), डेटिंग ऐप्स (dating apps) और रिलेशनशिप कोच (Relationship Coach) यह तय कर रहे हैं कि कौन आकर्षक है और कौन नहीं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर “फेमिनिन एनर्जी” (Feminine Energy) शब्द बहुत ट्रेंड में है। इसका मतलब बताया जाता है, कोमल बनो, मुस्कुराओ, पहले बात मत करो, और हर स्थिति में शांत रहो।

मतलब, अगर आप गुस्सा करती हैं या पहले मैसेज भेज देती हैं, तो आप “कम नारीसुलभ” (Feminine) मानी जाती हैं। पहले जहाँ नारीत्व का मतलब आत्मनिर्भर (Independent), आत्मविश्वासी (Confident) और मज़बूत होना था, वहीं अब उसे “नरम और विनम्र” होने में सिमटा दिया गया है।

‘फेमिनिन एनर्जी’ का चलन क्यों बढ़ा?

आजकल सोशल मीडिया पर “फेमिनिन एनर्जी को जगाओ” जैसे वीडियो और सलाहों की बाढ़ आ गई है। बहुत से “डेटिंग कोच” और “रिलेशनशिप इंफ्लुएंसर” (Influencers) यह सिखाते हैं कि लड़कियाँ तभी पसंद की जाएँगी जब वे ज़्यादा बोलें नहीं, हमेशा मुस्कुराएँ और मर्द को “लीड” करने दें। यह सुनने में अच्छा लगता है, जैसे कोई प्रेमकथा (Love Story) की नायिका बन रही हो, लेकिन असल में यह पुराने ज़माने की सोच को नए पैकेज में बेचने जैसा है।

इंस्टाग्राम (Instagram) और डेटिंग ऐप्स ने हर चीज़ को एक "ब्रांड" बना दिया है, यहाँ तक कि पर्सनालिटी को भी। लड़कियाँ सोचती हैं कि उन्हें कैसी प्रोफ़ाइल फोटो डालनी चाहिए, कैसा कैप्शन लिखना चाहिए, या किस तरह से रिप्लाई करना चाहिए ताकि सामने वाला उन्हें “सॉफ्ट और प्यारी” समझे।

एक लड़की उदास बैठी है, मोबाइल फ़ोन है, फेमिनिन एनर्जी
सोशल मीडिया के एल्गोरिद्म भी वही चेहरे और वही व्यवहार बढ़ावा देते हैंAI Generated

समाज और पुरुषों की उम्मीदें

आज के पुरुष भी उसी ऑनलाइन संस्कृति से प्रभावित हैं। कई बार वे ऐसी महिला चाहते हैं जो आत्मनिर्भर हो, लेकिन साथ ही उन्हें चुनौती भी न दे।

वह बोल्ड हो लेकिन “ज़्यादा बोलने वाली” न हो। यह विरोधाभास महिलाओं के लिए सबसे बड़ी उलझन बन गया है, आखिर उन्हें कैसा होना चाहिए? यानी अगर एक महिला अपनी राय रखती है, तो वह “ज़्यादा मर्दाना” कहलाती है। और अगर वह चुप रहती है, तो कहा जाता है कि उसमें “पर्सनालिटी” (Personality) नहीं है।

हर समय “परफ़ेक्ट” दिखने और “सही व्यवहार” करने का बोझ महिलाओं पर भारी पड़ता है। वे अपनी असली भावनाएँ छिपाती हैं, ताकि उन्हें “बहुत इमोशनल” (Emotional) या “ओवररिएक्टिंग” न कहा जाए।

कई बार वे खुद को बदलने लगती हैं, ताकि कोई उन्हें पसंद करे। ऐसा लगता है जैसे प्यार पाने के लिए अब अभिनय करना ज़रूरी हो गया हो। लेकिन असली रिश्ता तो तभी बनता है जब दोनों लोग सच्चे और सहज हों, न कि जब एक पक्ष अपनी पहचान छिपाए।

निष्कर्ष

फेमिनिन एनर्जी सिर्फ “नरम मुस्कान” नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, भावनात्मक ईमानदारी और आत्मविश्वास का मिश्रण है। सच्चे रिश्ते तभी बनेंगे जब स्त्रियाँ खुद को ढालना छोड़ें और पुरुष उन्हें उसी रूप में स्वीकारें जैसे वे हैं। क्योंकि प्यार का मतलब किसी को बदलना नहीं, बल्कि किसी को उसी रूप में समझना है।

आधुनिक डेटिंग में नारीत्व को सोशल मीडिया के “ट्रेंड” के रूप में पेश किया जा रहा है। पर सच्चा नारीत्व किसी नियम या छवि में नहीं बंध सकता। यह अपनी पहचान, स्वतंत्रता और सच्चाई से जुड़ा है, जो किसी फिल्टर (Filter) या फॉर्मूले से तय नहीं होता।

(Rh/BA)

एक लड़की उदास बैठी है, मोबाइल फ़ोन है
आपका फोन चार्ज हो रहा है या हैक ? जानिए जूस जैकिंग का पूरा खेल

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com