Agritech Startup : अब खेती का अर्थ सिर्फ गेहूं-चावल उगाना नहीं रह गया है। यह एक उद्योग बन गया है। इन तीन-चार वर्षों में देश में एग्री स्टार्टअप की संख्या बढ़ गई है और इस बढ़ते हुए संख्या से हमें ये ज्ञात होता है कि किसान अब परंपरागत खेती में नए विचार अपना रहे हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एग्री स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक और तकनीकी सहायता दी जा रही है। एग्री स्टार्टअप का अर्थ स्मार्ट फार्मिंग को प्रोत्साहित करना है। दिन पर दिन देश की आबादी बढ़ रही है, किंतु जमीन का आकार तो स्थिर है। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए ही इसे शुरू किया गया है।
ऐसे में किसानों को उपज की अधिक कीमत तो मिल रही है लेकिन दूसरी तरफ़ कम जमीन में अत्यधिक उपज लेने के प्रयास में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से खेत नष्ट हो रहे हैं। इसी निराशा के बीच एक नई दिशा मिली ही और वो है एग्री स्टार्टअप, जो पैदावार बढ़ाने से लेकर उपज के उपभोग तक सफल है।
जिन किसानों को जानकारी और पूंजी के बारे में कुछ नहीं पता है, उनके लिए एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर मददगार साबित हो सकते हैं। ये जानकारी लेकर अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। जिन किसानों को एग्री स्टार्टअप का कोई ज्ञान नहीं है, उनके लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ‘नवाचार व कृषि-उद्यमिता विकास’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण और परामर्श के लिए देशभर में 5 नॉलेज भागीदार और 24 एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर बनाए गए हैं। एग्री-प्रेन्योरशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम के द्वारा किसानों एवं युवाओं को दो माह तक 10 हजार रुपये देने की व्यवस्था भी की गई है।
इसको सफल बनाने के लिए पूरा प्रयास चल रहा है इसी कारण प्रारंभ में अभ्यर्थियों को आइडिया एवं प्री-सीड स्टेज पर पांच लाख रुपये और बाद में पूंजी के रूप में 25 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। उद्यमियों एवं स्टार्टअप को इनक्यूबेटर के जरिये उत्पादों, सेवाओं एवं व्यापार मंचों को बाजार तक पहुंचाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।